जिला धनबाद, प्रखंड तोपचांची से रविंद्र महतो जी मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते हैं कि ये एक किसान हैं और कृषि कार्य से जुड़े हुए हैं। वे कहते हैं कि खेतों में कम समय में अधिक उपज की चाह में किसान रासायनिक खाद और कीटनाशक दवाओं का अधिक मात्रा में उपयोग करने लगे हैं। जिसका दुष्परिणाम आज सामने आने लगा है, लगातार रासायनिक उर्वरक के प्रयोग से भूमि बंजर और मनुष्य कई प्रकार के रोगों से ग्रसित होते जा रहे हैं। जानकारी के अभाव में किसान जैविक खाद के बदले रासायनिक खाद का उपयोग करते हैं।पारम्परिक खाद के लिए पशुपालन अति-आवश्यक है, किन्तु चरागाह का उपलब्ध ना होना एवं लोगों की उदासीनता के कारण पशु पालन को बढ़ावा नहीं मिल पा रहा है,जिसके कारण किसानों को मात्रा के अनुसार जैविक खाद की उपलब्धता नहीं हो पाती है।साथ ही पशु पालन के लिए प्रखंड स्तर पर किसानों को लाभ तो दिया जाता है, परन्तु कुछ लाभ वैसे किसान को दिया जाता है जिन्हे इसकी कोई आवश्यकता नहीं होती है। जिस कारण सरकारी सहायता राशि का दुरूपयोग होता है।