जिला हज़ारीबाग़ के बिष्णुगढ प्रखंड से राजेश्वर महतो जी मोबाइल वाणी पर चल रहे कार्यक्रम बाल विवाह मुक्त झारखण्ड अभियान के संदर्भ में बताते हैं कि राज्य में मौजूद रीती-रिवाजो के कारण छोटी उम्र में ही बच्चों का बाल विवाह संपन्न करने की प्रथा कायम है। निश्चित आयु से छोटे बालक बालिकाओं के विवाह की अनुमति देना बाल विवाह के विरुद्ध है। देश से ऐसी कुरीति प्रथा को समाप्त करने के लिए बाल विवाह अवरोध अधिनियम 1929 में कानून बनाया गया जिसे 1978 में संशोधन कर परिवर्तित कर सुसंगिये अपराध माना गया।इसका मतलब पुलिस बिना किसी वारंट के दोषी व्यक्तियों को गिरफ्तार कर सकते हैं। विगत पांच वर्षों में बाल विवाह पर काफी नियंत्रित किया गया है। आज भले ही शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ावा हुवा है परन्तु अभिभावकों को समाज का भाव बना हुवा रहता है कि, कहीं मेरे बच्चे कोई गलत कदम ना उठा लें।बाल विवाह होने का मुख्य कारण अशिक्षा,गरीबी और अधिक दहेज़ देने के डर से अभिभावक कम उम्र में ही बच्चों की शादी कर अपनी चिंता दूर करने में लगे रहते हैं।