जिला धनबाद के बाघमारा प्रखंड से मदन लाल चौहान जी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि बाघमारा प्रखंड अंतर्गत मांदरा पंचायत में जल सहियाओं का चयन किया गया था।जिसमे जल सहिया के द्वारा किये गए कार्यों में काफी गड़बड़ियां पाई गई।जल सहिया के रूप में ऐसी महिलाओं का चयन किया गया,जो घर से कभी बाहर नहीं निकली हैं, और इनके जगह इनके घर के पति या भेसुर कार्य करते हैं।स्थिति यह बन गई कि जल सहिया के चयन से पंचायत में विकास तो नहीं बल्कि विनाश के कागार में आ गया है।भारत सरकार के द्वारा स्वच्छ भारत की घोषणा आज विफल होते नजर आ रहा है।हर पंचायत में जल सहिया केवल कागजी खानापूर्ति करते नजर आतीं हैं।आज जल सहियाओं के द्वारा जल उपलब्ध कराना तो दूर की बात पर शौचालय निर्माण कराया जा रहा है। लेकिन कई शौचालय निर्माण के बाद ही गिर गया, जो आज एक जाँच का विषय बन गया है। सरकार द्वारा प्रत्येक शौचालय निर्माण के लिए बारह हजार रुपया दिया गया है, परन्तु केवल छः हजार से सात हजार रूपए में ही शौचालय तैयार कर दिया जा रहा है।जल सहिया का चयन गलत तरीके से किया गया। सबक के रूप में मांदरा पंचायत में जाँच करा कर देखा जा सकता है और पुरे झारखण्ड की जल सहिया के कार्यों का अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है। तभी अधिकार और दूरव्यवहार पर सवाल कर सकते हैं।