जिला धनबाद के बाघमारा प्रखंड से मदन लाल चौहान जी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि झारखंड में डायन के नाम पर हो रही हत्याओं का कारण निरक्षरों एवं अंधविश्वासी होना मूल जड़ है। यह सिलसिला सदियों से चलता आ रहा है। धनि मणि लोग ओझा गुणी और डायन बता कर लोगों को उकसा कर अपना स्वार्थ साध लेते हैं।डायन बता कर हत्या और प्रताड़ना के कुल 3 हजार 3 सौ मामले आज भी फाइलों में बंद हैं और ऐसी घटनाएँ अखबारों की सुर्खियों में बनती रहती है। पूर्ण रूप से यह प्रथा ख़त्म करने के लिए सरकार प्रत्येक राजस्व ग्राम एवं पंचायत स्तर पर चौकीदार बहाल करें। जो सरकार के साथ सूचना बहाल करने का कार्य करेगा। डायन बता कर किसी की भी हत्या करने वालो का कठोर से कठोर सजा होनी चाहिए।तथा NGO के माध्यम से निरक्षरों एवं अंधविश्वासियों पर कार्यशाला होना चाहिए। तभी डायन के नाम पर हो रही हत्याओं पर लगाम लगाया जा सकता है।