प्रखंड पोटका ,जिला पूर्वी सिंघभूम, झारखण्ड से सुबोध कुमार ने मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि झारखण्ड राज्य में सदिओं से "झूमर-गायन" की प्रथा चली आ रही है,परन्तु अब "झूमर-गायन" विलुप्त होता जा रहा है। वर्तमान समय में पाश्चात्य संस्कृति एवं संगीत, युवा-वर्ग बहुत पसंद कर रहे हैं और उसका अनुसरण भी कर रहे हैं।समाज में पारम्परिक तथा लोक-गायन की जगह, पाश्चात्य संगीत एवं फ़िल्मी संगीत ने ले लिया है।लेकिन गौरतलब है कि सरकार "झूमर-गायन" परम्परा को बचाने के प्रति उदासीन रवैया अपनाये हुए है और अपनी संस्कृति पर ध्यान देने की जगह सरकार,पाश्चात्य संस्कृति को घर-घर पहुंचाने का काम कर रही है।फलस्वरूप युवा-वर्ग अपने संस्कृति ,गायन और परम्परा को भूल कर,पराये संस्कृति ,गायन और परम्परा को महत्व दे रहे हैं तथा "झूमर-गायन" की प्रथा को विलुप्त करने पर तुले हुए हैं।समय रहते अगर उचित कदम नहीं उठाया गया तो "झूमर-गायन" का विलुप्त होना तय है।