भारत समृद्ध संस्कृति का एक ऐसा देश है जहाँ एक से ज्यादा संस्कृति के लोग एक साथ रहते हैं। भारत विशाल देश होने के नाते विभिन्न बहुमूल्य लोक गीतों से भरा पड़ा है, और ये गीत इस विशाल क्षेत्र पर बसे विभिन्न संप्रदायों की संस्कृति को प्रदर्शित करते हैं । इसी तरह झारखण्ड की लोक संस्कृति में झूमर का हमेशा एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है। परंतु अन्य लोक कलाओं की तरह झारखण्ड का झूमर गीत भी दिनों दिन विलुप्त होने के कगार पर है। दोस्तों क्या कारण है कि सरकार द्वारा झारखण्ड के भाषा,संस्कृति एवं सभ्यता के संरक्षण के लिए संस्थाएँ बनाने के बावजूद, झूमर जैसी गायन परम्परा विलुप्त होती जा रही है? क्या सरकार की योजनाओं में कोई कमी है? और क्या केवल यह जिम्मेवारी सरकार की ही है? झारखण्ड की झूमर गायन परम्परा के प्रति, इतना उदासीन क्यों है? युवा वर्ग को झूमर गायन परम्परा बचाने के लिए कैसी पहल और प्रयास करना चाहिए?