गोड्डा जिला से सुरेंदर सिंह ने मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि जब तक प्राइवेट या निजी स्कूलों को बंद नही किया जायेगा,तब -तक शिक्षा के स्तर में सुधार नही किया जा सकता है।प्राथमिक शिक्षा का स्तर गिरने के पीछे एक बड़ा कारण है स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी होना। शिक्षकों की कमी के कारण छात्रों पर शिक्षक पूरा ध्यान नही दे पाते हैं और बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं।साथ ही सरकार के तरफ से स्कूलों में "मिड-डे -मील" की व्यवस्था की गई है।जिसमें बच्चों को दोपहर का भोजन कराया जाता है।इस "मिड-डे -मील" कार्यक्रम के कारण बच्चों का मन पढाई में नहीं लगता है ,उनका पूरा ध्यान खाने के ऊपर रहता है पढ़ाई में अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं।और एक बात गौर वाली यह भी है कि वर्तमान में समृद्ध घरों के बच्चे प्राइवेट स्कूलों में जाते हैं और गरीब एवं असहाय परिवार के बच्चे सरकारी स्कूल जाते हैं।सरकार की लापरवाही और सरकार की उदासीन नीतियों के कारण ही शिक्षा का स्तर बहुत गिर गया है।अब तो ऐसा लगता है ,इसे सुधारना बहुत ही मुश्किल है।अत: वे कहते हैं कि स्कूलों में संचालित मध्यान भोजन कार्यक्रम को अगर बंद कर दिया जाये ,तो बच्चे अपना ध्यान खाने में नहीं बल्कि पढाई पर केन्द्रीत कर सकेंगे।साथ ही उनका मानना है कि स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों पर भी नजर रखने की भी आवश्यकता है ताकि यह पता चल पाए कि शिक्षक अपना दायित्व ठीक से निभा पा रहे हैं या नही।