पूर्वी सिंघभूम पोटका प्रखंड से चक्रधर जी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि सरकार के तरफ से चल रही प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम में ,सरकार ने बहुत सी सुविधाएँ दी है।परन्तु इतने प्रयासों के बावजूद शिक्षा का ज्योत धूमिल है। प्राथमिक शिक्षा के गिरते स्तर को ऊपर उठाने के लिए इस क्षेत्र में बहुत सुधार करने की आवश्यकता है।प्राथमिक शिक्षा की हालत खराब होने के पीछे मुख्य कारण है शिक्षक और शिक्षिकाओं में पढ़ाने एवं ज्ञान बाँटने की ललक में कमी होना।सरकार ने प्राथमिक शिक्षा चुस्त दुरुस्त करने के उद्देश्य से हर पंचायत में शिक्षा -समिति बनाई है ,परन्तु वो भी कागजों तक ही सिमट कर रह गई है।वास्तव में धरातल पर यह समिति कोई काम नहीं कर रही है । उनका कहना है कि सरकार वाकई में अगर शिक्षा का स्तर सुधारना चाहती है तो शिक्षकों के कंधों से अतिरिक्त दायित्व का बोझ हटा देना चाहिए और शिक्षक, शिक्षिकाओं को सिर्फ बच्चों को पढ़ाने का भार ही सौपना चाहिए।साथ ही विशेष निगरानी टीम बना कर शिक्षकों पर नज़र रखनी चाहिए,जिससे पता चले कि वो अपने कर्तव्यों को ठीक से निभा रहे हैं या नही। तभी शिक्षा के क्षेत्र में कुछ सुधार संभव है।