जिला पूर्वी सिंघभूम के पोटका प्रखंड से चक्रधर भगत मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि जागरूकता एवं शिक्षा के अभाव के कारन लघु ऋण उधोग में गड़बड़ी होती है।और लोगों में शिक्षा के अभाव होने का ही लाभ बिचौलिया उठाते है।बिचौलिया जो पढ़े लिखे होते है वे बैंक मैनेजर एवं कर्मियों के साथ मिलकर कर निर्णय लेते हैं कि ऋण किसे कैसे देना है। वे तय करते हैं कि कितना का ऋण देने पर कितना कमीशन कटेंगें जैसे 50 हजार में 10 हजार तथा 1 लाख में 20 हजार इस तरह लघु ऋण में कमीशन बाटते है। इस तरह से जो कमीशन देते हैं उनका ऋण जल्द से जल्द पास करवाते है और सही कोशिश करने वाले युवा भी ऋण लिए लाइन में खड़े ही रह जाते हैं।