ग्राम महुदा,जिला धनबाद,झारखण्ड से बीरबल महतो जी झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि झारखण्ड का अर्थ होता है झाड़ एवं जंगल लेकिन आज के इस युग में वनों की संख्या घटते जा रही है, जिससे झारखण्ड अर्थ अलग होता दिख रहा है, इसका मुख्य कारण है कि लोग अपने कामो के लिए पेड़-पौधों को दिन-प्रतिदिन काटते जा रहे है इसके फलस्वरूप लोग इतने स्वार्थी हो गए है कि एक नए पौधे नही लगा पा रहे है। कुछ बिचौली सरकारी कर्मचारी से मिलकर भी पेड़-पौधों को काटकर बेचना एक व्यवसाय का नाम दे दिया गया है, इस कारण से हमारा पर्यावरण का संतुलन बिगड़ते जा रहा है,क्योंकि पेड़-पौधे ही हमारे पर्यावरण को संतुलित बनाये रखती है। पेड़-पौधे को काटना एवं पहाड़ो का खनन किया जा रहा है जिसके कारण पर्यावरण असुंतलन होते जा रहा है जिसका कारण समय पर वर्षा ना होना तथा विभिन्न प्रकार के बिमारियों का जन्म लेना, तथा कागजी रूप में पेड़ लगाने के क्रम को दर्शाना। आज अगर कागजी रूप में पेड़-पौधे लगाए होते तो हमारा झारखण्ड पेड़-पौधों एवं जंगलो की कमी नही होता।