जनता की रिपोर्ट चर्चा मंच पर हम बात करेंगे ,वैज्ञानिक युग में भी तंत्र-मन्त्र और अंध भक्ती के बढ़ते दायरे के बरे में ,क्या आपको भी लगता है की इक्कीससवीं सदी के दूसरे दशक में जहाँ देश और दुनिया के वैज्ञानिक ब्रह्मांड के रहस्य खोजने मे लगे है और रोज नई ऊंचाइयां छू रहे हैं,वही आज भी कई लोग अंधभक्ति में डूबे हुए अजीबो गरीब हरकते करते दीखते है। क्या कारन है की हर रोज दर्जनों तरह के अन्धविश्वास घरो में देखनो को मिलते है ? क्या लोगो को इसके लिए कई स्तरों पर जागरूक करने की जरुरत है? क्या कारण है की लोग सफलताओं के लिए मेहनत से ज़्यादा तांत्रिको,बाबाजी और मौलवियो का सहारा लेते नज़र आते है ? क्या वजह है जिससे बाबाजी, मौलबी जी का तंत्र मंत्र और ताबीज़ो का दुकान आज कल बड़े बड़े होर्डिंग और साइन बोर्ड लगा कर शहर के बीचो बिच चल रहे है और क्या इस अन्धबिएसवाश का जाल सिर्फ समाज के निचले तबके के लोगो तक ही फैला हुआ है या फिर इससे दूसरे वर्ग के लोग भी प्रभावित हो रहे है ? आप के अनुसार इस अन्धविश्वाश का शिकार क्या सिर्फ छोटे शहर और कस्बो के लोग ही होते है या बड़े बड़े शॉपिंग मॉल और शोरूम वाले शहरो के लोग भी इसके चपेट में आ रहे है ? इन फर्जी बाबा और मौलाना जैसे लोगो को रोकने के लिए हमे क्या करना चाहिए ?