जनता की रिपोर्ट चर्चा मंच पर हम बात करेंगे - माटी की मूरत बनी महिला पंचायत प्रतिनिधि के बारे में। सरकार ने महिलाओ को जागरूक करने एवम उन्हें आगे बढ़ाने के लिए चुनाव में भागीदारी दी और प्रोत्साहित भी किया साथ ही हर पंचायत में महिलाओ को 50% आरक्षण मिला जिससे महिला पंचायत प्रतिनिधि,मुखिया,वार्ड पार्षद के रूप में चयनित हुई। परंतु वो कई बार केवल नाम के सत्ता धरी होते है और उनके नाम के पीछे उनके परिवार के पुरुष सदस्स्य पूरी सत्ता पर कब्ज़ा किये रहते है। यहाँ तक की किसी भी आयोजन में भी महिला प्रतिनिधि काम ही दिखाई पड़ती है। आप के अनुसार क्षमता के विकेन्द्रीकरण के नाम पर आखिर क्षमता का पुरुष केन्द्रीकरण का कारण क्या है ? क्या आपके क्षेत्र में चयनित महिला प्रतिनिधि इन महत्वपूर्ण पदों पर होते हुए पंचायत के कार्यो को अपने बल पर पूरा करते नजर आती है...? महिलाओ को सशक्त करने के लिए सही तरीका क्या होना चाहिए ? इस विषय पर अपनी राय व क्षेत्र की स्थिति हमारे साथ बांटे नंबर 3 दबाकर। और हाँ श्रोताओं, राय देने से पहले अपना नाम और पता के साथ अपनी आजीविका का संक्षिप्त विवरण देना ना भूले।