पटना(महताब आलम): - विश्व के साथ देश और राज्य में कोरोना संक्रमण तेजी से फ़ैल रहा है. इससे बचाव के लिए समूचे भारत में ही लॉकडाउन किया गया है. इस संक्रमण प्रसार के चेन को सिर्फ अनुशासित लॉकडाउन से ही तोड़ा जा सकता है. इस लिहाज से सरकार के लिए लॉकडाउन लागू करना अनिवार्य हो गया है. लेकिन इस लॉकडाउन ने मजदूरी करने वाले एवं प्रतिदिन कमाने वाले गरीबों के लिए खाने की समस्या भी पैदा की है. आम लोगों के लिए यह लॉकडाउन संक्रमण से बचाव का रास्ता तो सकता है , लेकिन निराश्रित एवं गरीबों के लिए यह लॉकडाउन उन्हें समय से दी वक़्त की रोटी उपलब्ध कराने में भी समस्या खड़ा करता दिख रहा है. ऐसे प्रतिकूल माहौल में सरकार के साथ कई गैर-सरकारी संस्थाएं भी सहयोग कर रही है. सहयोगी भी उन्हीं संस्थाओं में एक है जो कोरोना काल में गरीबों की सहायता के लिए हाथ बढाया है. सहयोगी संस्था द्वारा गरीब परिवारों को सहयोग किया जा रहा है 15 दिनों का राशन भी मुहैया कराया जा रहा है. 200 परिवारों को 15 दिन का राशन: - सहयोगी की कार्यपालक निदेशक रजनी ने बताया देश के साथ बिहार भी कोरोना का दंश झेल रहा है. इस संक्रमण के कारण देश में लॉकडाउन भी किया गया, जो संक्रमण की रोकथाम के लिए कहीं न कहीं जरुरी भी था. लेकिन इस लॉकडाउन की वजह से बहुत सारे मजदूरों एवं दिहाड़ी पर कार्य करने वाले लोगों को भी कार्य मिलना बंद हो गुआ है. वे संक्रमण एवं भूख दोनों तरह की चुनैतियों से जूझ रहे हैं. इसलिए सहयोगी संस्था ने ऐसे ही कुछ लाचार, निसहाय एवं गरीब परिवारों को 15 दिनों तक राशन देने का कार्य कर रही है. अभी तक हमारी संस्था ने पटना के झखडी महादेव, मुसहरी, बेली रोड आदि स्थानों पर 200 परिवार को निःशुल्क राशन प्रदान कराया है. राशन बांटते समय भी सहयोगी के कर्मियों के द्वारा सामाजिक दूरी का उचित अनुपालन किया जा रहा है. जिसमें वितरण करने वाले मास्क का भी प्रयोग कर रहे हैं एवं सामाजिक दूरी का अनुपालन करते हुए राशन की पैकेट लक्षित परिवार के दरवाजे पर रख दी जाती है. राशन पैकेट में ये-ये होते हैं शामिल: -राशन की पैकेट ने रोज इस्तेमाल होने वाली महत्वपूर्ण चीजों को शामिल किया गया ताकि उनकी मांग पूरी हो जाए. जिसमें: • चावल- 10 किलोग्राम • आटा- 5 किलोग्राम • सरसो का तेल-1 किलोग्राम • दाल- 1 किलोग्राम • चना- 1 किलोग्राम • नमक- 1 किलोग्राम • मिर्चा • हल्दी • नहाने एवं कपड़े साफ़ करने के लिए साबुन