Transcript Unavailable.

नमस्कार दोस्तों, आप मोबाइल वाणी शिवपुरी मध्य प्रदेश से मैं अनिल साथियों हम बात करेंगे सुन रहे हैं, हमारी मोबाइल वाणी पर चल रहा कार्यक्रम, विपक्षी दलों की संख्या उनसठ है। नदियों, झीलों, तालाबों, पेड़ों में, कभी-कभी चुनावों में, इस मुद्दे पर कभी कोई चर्चा नहीं होती। हम शिवपुरी जिले की तहसील की बात करते हैं। शोर में कस्बा खोड़ जिसके तहत कई गाँव आते हैं जहाँ इस बार मार्च, अप्रैल, मई और जून में पानी की बहुत समस्या होती है। इन सभी चार से पांच महीनों के लिए, पानी की सबसे अधिक समस्या है। इस समय इतनी समस्या है कि कुओं या नदियों या तालाबों में पानी नहीं है। अगर आप पानी के प्यासे हैं तो सोचिए कि जंगल के लिए पानी मिलना नामुमकिन है, इसलिए उसमें पेड़-पौधे सूख रहे हैं, जंगल सूख रहा है, इसलिए कम बारिश हो रही है, लोगों को कई परेशानियां हो रही हैं। इसलिए, कभी भी कोई चुनावी मुद्दा या कोई उम्मीदवार यह घोषणा नहीं करता है कि हम पानी बर्बाद नहीं करने जा रहे हैं या इसका उपयोग कैसे करें। इन चीज़ों के बारे में कोई कभी नहीं बताता, कोई भी इस चीज़ के बारे में बात नहीं करता। खोड़ गाँव के पास दो नदियाँ हैं, एक महुआर नदी में गिरती है और दूसरी एयर नदी में गिरती है। अगर एयर नदी सिंध में मिलती है, तो सिंध का बांध मणिखेड़ा जाकर बनाया गया है, लेकिन मकुर भी बहुत आगे जाकर बनाया गया है, ताकि उस चीज से उन लोगों को फायदा हो, लेकिन कम से कम यहाँ जो गाँव है। बीस-पच्चीस गाँव आते हैं जिनके लिए पीने के लिए पानी भी नहीं है, जो पहाड़ी क्षेत्र का गाँव है, इसलिए उन गाँवों में पीने के लिए पानी भी नहीं है, लोग पीने के लिए पानी के लिए तरसते हैं, हेड पंपों में पानी नहीं है, बोरे या दाख की बारियों में पानी नहीं है। कुओं में पानी नहीं है, तालाबों में पानी नहीं है, कहीं भी पानी नहीं है, इसलिए लोग वहां से पानी लाते हैं।

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

मालवाड़ी मैं हूं संवाददाता श्यामला लोधी खनिज आना से आज हुआ रंगारंग कार्यक्रम तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत रेडी हिम्मतपुर के श्री सिद्ध गुरु बाबा के स्थान पर आज हुआ रंगारंग कार्यक्रम, विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

हमारी सूखती नदियां, घटता जल स्तर, खत्म होते जंगल और इसी वजह से बदलता मौसम शायद ही कभी चुनाव का मुद्दा बनता है। शायद ही हमारे नागरिकों को इससे फर्क पड़ता है। सोच कर देखिए कि अगर आपके गांव, कस्बे या शहर के नक्शे में से वहां बहने वाली नदी, तालाब, पेड़ हटा दिये जाएं तो वहां क्या बचेगा। क्या वह मरुस्थल नहीं हो जाएगा... जहां जीवन नहीं होता। अगर ऐसा है तो क्यों नहीं नागरिक कभी नदियों-जंगलों को बचाने की कवायद को चुनावी मुद्दा नहीं बनाते। ऐसे मुद्दे राजनीति का मुद्दा नहीं बनते क्योंकि हम नागरिक इनके प्रति गंभीर नहीं हैं, जी हां, यह नागरिकों का ही धर्म है क्योंकि हमारे इसी समाज से निकले नेता हमारी बात करते हैं।

काली माता मंदिर में होली के मौके पर वहां ढोल बजाया गया है । दर्शक वहाँ थे लेकिन आपको बता दें कि पुजारी ने कहा कि दर्शकों को यहाँ भी पीने के पानी की अधिक से अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है । विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

गर्मी के इस समय में पानी के लिए ज्यादा खराब न करें ।पानी का स्तर नीचे जा रहा है ,बारिश के मौसम में घर बनाया जाना चाहिए । विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

इन दिनों बाजार में भीड़ को पीने के लिए पानी नहीं मिल रहा है । मैं इस समय बस स्टैंड की बात कर रहा हूं कि होटल मालिक उस व्यक्ति के लिए पानी नहीं देते है जिसने खाना नहीं खाया है । विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

पानी है तो जीवन भी है क्सर देख रहे हैं कि होली के त्योहार में पानी अधिक फैला हुआ है , इसलिए इसे बचाएं । चूंकि अब पानी कम हो रहा है , इसलिए जल स्तर को ध्यान में रखें और आसपास के लोगों को प्रेरित करें । विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।