मोहिउद्दीननगर प्रखंड क्षेत्र से गुजरने वाली गंगा व वाया नदियों के जलस्तर में रविवार को भी वृद्धि जारी है। जिससे निचले इलाकों में पानी तेजी से पसरने लगा है।इसे लेकर लोगों में एक बार फिर से बाढ़ की आशंका जताने लगी है। बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल दलसिंहसराय के सरारी कैम्प पर तैनात कनीय अभियंता जितेश रंजन ने बताया कि रविवार की सुबह गंगा का जलस्तर 46.51 मीटर पहुंच गया। जो कि खतरे के निशान से 1.01 मीटर अधिक है। जलस्तर की प्रवृत्ति बढ़ने की बताई गई है। जिसे किसानों के लिए अब बड़ी समस्या उत्पन्न होने की आशंकाओं के साथ खेती करने योग्य भूमि में अब दलहनी व तेलहनी फसल बोआई की आशा धुमिल होते हुए दिखाई दी जा रही है। बीते डेढ़ महीने पूर्व प्रखंड क्षेत्र में आयी बाढ़ के बाद गंगा व वाया नदियों के जलस्तर में आयी कमी के बाद दियारांचल के किसानों की तेलहनी व दलहनी फसलों की बोआई की आशा जगने लगी थी। परंतु हथिया नक्षत्र में हुई भारी बारिश के कारण आशाएं धुमिल होने लगी। अब वर्तमान में गंगा व वाया नदियों में आया उफान पूरी कर दी। जिसे दोनों प्रखंडों के किसान व्यवसायिक व रबी फसल के रूप में बड़े पैमाने पर दलहन व तेलहन की खेती करते हैं।अब अक्टूबर माह के मध्य से ही इन फसलों की बोआई प्रारंभ हो जाती है।किंतु बड़े भूभागों पर नदियों के पानी फैलने से फसल बोआई की आशा क्षीण हो गयी है। बृजेंद्र सिंह, नंदकिशोर सिंह, गोपाल सिंह, रामा प्रसाद सिंह, पैक्स अध्यक्ष अनिल कुमार सिंह, पूर्व पैक्स अध्यक्ष महेश्वर प्रसाद सिंह, राम निहोरा सहनी, अमरेश कुमार सहनी, रितेश कुमार साह, नवल प्रसाद यादव, बलिराम महतो, जीवछ महतो, शंकर सिंह, मनोज सिंह, मंजु महतो, शिबू राय का बताना है कि इधर हाल के वर्षों में दियारांचल के किसानों के बीच अंतरवर्ती खेती के रूप में आलू एवं मक्के की फसल बड़े पैमाने पर उगाई जाने लगी है। खेतों में जलजमाव के कारण देर से की गयी फसल बोआई से न सिर्फ उत्पादकता प्रभावित होगी, बल्कि आर्थिक क्षति भी उठानी पड़ेगी।इस खबर को सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें