मोहीउद्दीन नगर प्रखंड क्षेत्र के ग्राम हरैल में शरादीय नवरात्र पर नौ दिवसीय रामकथा की आयोजन करते हुए कथावाचक मधुकर महाराज ने कहा की जीवन में स्थाई सुख शांति लाने के लिए धर्म का पालन करना आवश्यक है । धर्म को कर्तव्यों से जोड़कर उन्नतिपूर्ण जीवनयापन करना ही मनुष्यता है । यदि हम धर्म को कुछ विशेष लक्षणों या गुणों से तक सीमित कर देते हैं तो यह हमारी संकीर्णता है । संकीर्ण मनोवृत्ति का त्याग ही धर्म है । उक्त बातें हरैल में शारदीय नवरात्रि के उपलक्ष्य में आयोजित नौ दिवसीय रामकथा के दौरान गुरुवार को ज्ञान मंच से कथा वाचन करते हुए पूर्व आईपीएस अधिकारी सह कथावाचक मधुकर जी महाराज ने कही ,श्रद्धालुओं से कहा कि धर्म के लिए स्वरूप की जरूरत नहीं होती है,स्वभाव की जरूरत होती है ।सबों के साथ समान व्यवहार करने वाले धार्मिक व आस्तिक कहे जाते हैं । कुरीतियों,कुसंस्कारों व आडंबरों के कारण कारण समाज का वास्तविक विकास नहीं हो पाता है. इसे खत्म करने के लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत है ।खबर सुनने के लिए ऑडियो क्लिक करें।