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झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग ज़िला के विष्णुगढ़ प्रखंड से राजेश्वर महतो झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि गजराज की लगातार घटती संख्या ,राष्ट्रीय वन्य उद्यान अभयारण के कर्मियों के बीच एक चिंता का विषय बन गया हैं। देश के विकास के नाम पर हो रही आधुनिकरण जैसे चौड़ी सड़कों का निर्माण,राजमार्गो का निर्माण,रेल परिवहन का निर्माण ,बड़ी बड़ी बाँधो का निर्माण ,ऊँची-ऊँची इमारतों के निर्माण आदि के वज़ह से वनों की धड़ाधड़ कटाई चालू हैं। इससे न केवल हथियाँ बल्कि अन्य वन्य जीव के लिए भी समस्या खड़ी हो गई हैं। देखा जाए तो इसके कारण प्रदेश में हाथियों की संख्या में काफ़ी गिरावट आई हैं। वर्त्तमान में प्रदेश के जंगलों में हाथियों की संख्या छह सौ अठ्ठासी से घट कर पांच सौ पचपन हो गई हैं।राजेश्वर जी यह भी बता रहे हैं कि उनके क्षेत्र में उत्पात मचाने वाले हाथियों को सुरक्षित खदेड़ने हेतु वन्य अधिकारी अपने अनुसार प्रयास करते हैं। एवं हाथियों द्वारा बर्बाद फ़सलों के लिए किसानों को अंचल अधिकारीयों द्वारा भौतिक सत्यापन के बाद उचित मुआवजा दिया जाता हैं। परन्तु इन सब से अलग़ हाथियों को सुरक्षित रखने एवं उनकी देखरेख के लिए अधिकारीयों के साथ साथ कर्मियों को भी ईमानदारी से कार्य करना होगा। अवैध रूप से होने वाली पेड़ों की कटाई और शिकार पर बंधिश लगाने हेतु विचार विमर्श के बाद उचित उपाय निकालने की आवश्यकता हैं। जंगलों में होने वाली आकस्मिक आग जैसी समस्या के निपटारे हेतु समाधान निकालने की जरुरत ज़्यादा हैं। साथ ही जन-शिक्षा जागरूकता कार्यक्रम भी करानी चाहिए ताकि लोग वन्य जीवों को सुरक्षित रखने में अपना-अपना योगदान दे। वन्य-जीव वनों की शोभा बढ़ाते हैं।

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