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हम सभी के लिए विद्यालय वो जगह होती है जहाँ हम सभी सबसे अधिक समय बिताते हैं.. कुछ नई बातों को सीखते हैं और बहुत कुछ सिखने की आशा भी रखते हैं तभी तो विद्यालय को शिक्षा का मंदिर भी कहा जाता है। श्रोताओं जैसा की हम सभी जानते हैं, कि झारखंड में 6 से 14 आयु के बच्चों के लिए 15 से 20 बच्चों में एक विद्यालय खोलने का आदेश स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा दिया गया था।पर आज इसके विपरित राज्य में विद्यालय विलय का फैलसा लिया जा रहा है..दोस्तों आपके अनुसार राज्य सरकार एवं शिक्षा विभाग द्वारा लिया जा रहा यह निर्णय किस हद तक उचित है..? विद्यालयों का विलय किये जाने के पीछे प्रशासन की क्या सोच है...? इससे बच्चों के शिक्षा में किस तरह का प्रभाव पड़ेगा..? दोस्तों हम आपसे यह जानना चाहेंगे कि विद्यालयों विलय की जगह पर दूसरे कौन से वैकल्पिक उपाय होने चाहिए, जिससे सभी वर्ग के बच्चों को समान रूप से शिक्षा प्राप्त हो सके..? साथियों आप हमे यह बताएँ कि अगर आपके क्षेत्र में विद्यालय विलय किया जा रहा है, तो इससे छात्रों एवं अभिभावकों को किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है..?

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