कार्मिक, प्रशासनिक एवं राजभाषा विभाग द्वारा 18 फरवरी को पूरे झारखंड के लिए जनजाति भाषा एवं क्षेत्रीय भाषा की अधिसूचना जारी की है जिसमें झारखंड के हजारीबाग एवं रामगढ़ जिले से मुंडारी भाषा को जनजाति भाषा में शामिल नहीं किया गया इससे मैट्रिक एवं इंटर स्तरीय एग्जामिनेशन में आदिवासियों को भारी क्षति का सामना करना पड़ेगा इससे आदिवासी समाज काफी आक्रोशित एवं निराश है। यंगब्लड आदिवासी समाज के केंद्रीय अध्यक्ष मनोज टुडूू ने कहा की झारखंड प्रदेश जनजातियों बहुल प्रदेश है और झारखंड के प्रत्येक जिले पर मुख्य रूप से संथाल ,मुंडा ,उराव सभी जिले पर वास करते हैं जहां पर यह जनजाति भाषा भी प्रचलित है मुंडारी भाषा को छोड़ देना एक दुर्भाग्यपूर्ण है झारखंड के लिए जो आने वाले समय में युवाओं को बहुत भारी क्षति का सामना पड़ सकता है आज प्रेस के माध्यम से कार्मिक प्रशासनिक एवं भाषा विभाग के साथ-साथ मुख्यमंत्री को अवगत करना चाहता हूं कि पर गंभीरता पूर्वक विचार कर इसे जल्द से जल्द शामिल किया जाए। इन सबों को देखते हुए अपने दुख जाहिर करते हुए कहा कि झारखंड की राज्य व्यवस्था संतुलन विधि से नहीं चल रही है जिनको वास्तव में हक अधिकार मिलना चाहिए वह सब इन से वंचित होते जा रहे हैं राज्य में शासन व्यवस्था सुचारू रूप से चलाने में सरकार असफल है। राज्य सरकार जनजातीय भाषा को दरकिनार कर रही है।राज्य सरकार भारतीय संविधान की आठवीं सूची में शामिल एकमात्र जनजाति भाषा संथाली को झारखंड के प्रथम राज्य भाषा घोषित नहीं कर रही है।राज्य सरकार झारखंड के मूलवासी एवं आदिवासियों के हक अधिकार को दिलाने में स्थानीय नीति एवं नियोजन नीति जल्द नहीं बनाकर इनके साथ खिलवाड़ कर रही है। झारखंड राज्य का गठन यहां के झारखंड वासियों को सभी चीजों में हक अधिकार दिलाने के लिए हुआ था उनके के संपूर्ण विकास के लिए हुआ था जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा के बात हो,व्यापार की बात हो रोजगार की बात हो,शिक्षा के बात हो, सरकार को वोट की लालसा छोड़कर इमानदारी पूर्वक अपने कर्तव्य कर्म करें। जिंदगी की जंग में हार जीत लगा रहता है परंतु जो हार के भी लोगों के दिल को जीत जाता है वहीं सरकार है। अंत में पुनः अपने बातों को दोहराते हुए कहा कि इस पर गंभीरता पूर्वक विचार करे सरकार मुंडा भाषा को अभिलंब जनजाति भाषा रामगढ़ हजारीबाग जिले में शामिल करें।