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लड़कियों के सपने सच में पुरे हो , इसके लिए हमें बहुत सारे समाजिक बदलाव करने की ज़रूरत है। और सबसे ज्यादा जो बदलाव की ज़रूरत है, वो है खुद की सोच को बदलने की। शिक्षा महिलाओं की स्थिति में बड़ा परिवर्तन ला सकती है लेकिन शिक्षा को लैंगिक रूप से संवेदनशील होने की जरूरत है। गरीब और वंचित समूह के बच्चों को जीवन में शिक्षा में पहले ही सीमित अवसर मिलते हैं उनमें से लड़कियों के लिए और भी कम अवसर मिलते हैं, समान अवसर तो दूर की बात है। सरकारी स्तर पर जितने ही प्रयास किये जा रहे हों, यदि हम समाज के लोग इसके लिए मुखर नहीं होंगे , तब तक ऐसी भयावह रिपोर्टों के आने का सिलसिला जारी रहेगा और सही शौचालय न होने के कारण छात्राओं को मजबूरी में स्कूल छोड़ने का दर्द सताता रहेगा। तब तक आप हमें बताएं कि *----- आपके गांव में सरकारी स्कूल में शौचालय है, और क्या उसकी स्थिति कैसी है? *----- क्या आपको भी लगता है कि सरकारी स्कूल में शौचालय नहीं होने से लड़कियों की शिक्षा से बाहर होने का बड़ा कारण है *----- शौचालय होने और ना होने से लड़कियों की शिक्षा किस प्रकार प्रभावित हो सकती है?

बिहार राज्य के मधुबनी जिला के बिस्फी प्रखंड से मोहम्मद नाज़िम मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है की , उनके क्षेत्र में सड़क की समस्या है

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बिहार राज्य के मधुबनी ज़िला के हरलाखी प्रखंड से पुनिता देवी ,मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती है कि उन्होंने आवेदन दिया था लेकिन अब तक इसके निर्माण के लिए पैसा नहीं आया है

डीएम प्रत्येक सप्ताह जिले के विकास संबंधी कार्यक्रमों का साप्ताहिक समीक्षा करते हैं लेकिन जिले में ग्रामीण इलाके में बन रही सड़के साथ-साथ शहर के निकट बनी सड़के की मरम्मत नहीं की जाती है जबकि 5 वर्ष के लिए गारंटी पीरियड होता है बताते चलें कि इस पीरियड का लाभ उठाते हुए मेंटेनेंस के पैसे निकाल लिए जाते हैं लेकिन सड़कों की मरम्मत नहीं होती मधुबनी से रांची होते हुए राजनगर गोमती एवं डुमंथा से चक्र एवं डीएनवाई कॉलेज के पीछे से गोमती की सड़क की हालत बदहाली में है जहां पर बिना मेंटेनेंस किए हुए भी पैसे का उठाव होता है

पक्ष विपक्ष पर बोलते हुए खादी ग्रामोद्योग के एक सदस्य मंगल दास ने बताया के केंद्र सरकार के आंख बंदी हुई है जिससे करोड़ों के यह खादी ग्रामोद्योग संस्था जो मधुबनी का मधुबनी का खड़ी नाम कर नाम था उनका की मधुबनी का खड़ी है और पूरे देश ही नहीं विदेशों में इसका सप्लाई होता था लेकिन आज वह मृत्यु प्राय हो चुका है और यहां पर साजिश के तहत उसके नीचे भी बीच में शुरू हो गए हैं दीवाल बिकना शुरू हो गया है भाड़े पर दुकान चलाई जा रहे हैं और वह पैसा कहां जाता है उसका भी कोई लेखा-जोखा नहीं होता धन्यवाद

साथियों, आये दिन हमें ऐसे खबरे सुनने को और देखने को मिलती कि फंलाने जगह सरकारी स्कुल की छत गिर गई या स्कुल की दिवार ढह गई। यहाँ तक कि आजकल स्कुल के क्षेत्र में लोग पशु भी बाँधने लगते है, अभी ऐसी ही खबर दैनिक भास्कर के रांची सस्करण में छपी। रांची के हरमू इलाके में जहाँ कुछ लोग वर्षो सेअपने दुधारू पशु को स्कुल से सटे दीवाल में बाँध रहे है और प्रशासन इस पर मौन है। ये हाल झारखण्ड की राजधानी रांची के एक सरकारी स्कुल का है , बाकि गाँव का हाल तो छोड़ ही दीजिये। क्या आपको पता है कि शिक्षा के अधिकार के नियम के तहत स्कुल में पीने का साफ़ पानी और शौचालय की बुनियादी सुविधा के अनिवार्य रूप से मुहैया करवाने की बात कही गयी है। और ये बेसिक सी चीज़े उपलब्ध करवाना सभी सरकारों का काम है। लेकिन जब 25 से 35 % स्कूलों का हाल ये हो तब किसे दोषी माना जाए ? सरकार को नेताओ को या खुद को कि हम नहीं पूछते??? बाक़ि हाल आप जान ही रहे है। तब तक, आप हमें बताइए कि ******आपके गाँव या क्षेत्र में सरकारी स्कूलों में शौचालय और पानी की व्यवस्था कैसी है ? ****** वहां के स्कुल कितने शिक्षक और शिक्षिका पढ़ाने आते है ? ****** साथ ही शिक्षा के मसले पर आपको किससे सवाल पूछने चाहिए ? और इसे कैसे बेहतर बनाया जा सकता है , ताकि हमारे देश का भविष्य आगे बढे।

बासोपट्टी प्रखंड के बभनदेई तालाब के सामने कमला माता का भव्य मंदिर निर्माण करवाया गया है। मंदिर निर्माण बुंदेलखंड गांव के ग्रामीणों के सहयोग से किया गया है मंदिर में कमला माता की प्रतिमा बेचन सहनी के द्वारा व बभनदेई माता की प्रतिमा विनोद सहनी के द्वारा दिया गया है। मंदिर में यशोदा कृष्ण के बाल रूप का प्रतिमा ग्रामीणों के सहयोग से लगवाया गया है। मंदिर में प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा 27 नवम्बर को कलश शोभायात्रा के साथ किया जायेगा। वहीं प्राण प्रतिष्ठा के उपरांत 28 को अष्ठीयाम व 29 को कमला पूजा आयोजित की जाएगी। मंदिर के बनावट को देखकर दूर दराज के लोग मोहित हो रहें है।

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