कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की स्वीकारोकती के बाद सवाल उठता है, कि भारत की जांच एजेंसियां क्या कर रही थीं? इतनी जल्दबाजी मंजूरी देने के क्या कारण था, क्या उन्होंने किसी दवाब का सामना करना पड़ रहा था, या फिर केवल भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है। जिसके लिए फार्मा कंपनियां अक्सर कटघरे में रहती हैं? मसला केवल कोविशील्ड का नहीं है, फार्मा कंपनियों को लेकर अक्सर शिकायतें आती रहती हैं, उसके बाद भी जांच एजेंसियां कोई ठोस कारवाई क्यों नहीं करती हैं?

कोई भी राजनीतिक दल हो उसके प्रमुख लोगों को जेल में डाल देने से समान अवसर कैसे हो गये, या फिर चुनाव के समय किसी भी दल के बैंक खातों को फ्रीज कर देने के बाद कैसी समानता? आसान शब्दों में कहें तो यह अधिनायकवाद है, जहां शासन और सत्ता का हर अंग और कर्तव्य केवल एक व्यक्ति, एक दल, एक विचारधारा, तक सीमित हो जाता है। और उसका समर्थन करने वालों को केवल सत्ता ही सर्वोपरी लगती है। इसको लागू करने वाला दल देश, देशभक्ति के नाम पर सबको एक ही डंडे से हांकता है, और मानता है कि जो वह कर रहा है सही है।

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खबर उत्तर प्रदेश के जनपद शाहजहांपुर के कांट थाना क्षेत्र गांव निकरा से है आपको बता दे की योगी सरकार हर गरीब के लिए कोई ना कोई रोजगार योजना लाती रहेती उसी योजना में पानी फेरने का काम ग्राम प्रधान व पंचायत मित्र लगा तार कर रहे है तो बही योगी सरकार दे रही हर सुभिधा का ग्राम प्रधान व पंचायत मित्र जनता के आख़ में धूल झोंक कर पैसे खा रहे आपको बता दे काफी दिनों से चल रहे ग्राम पंचायत निकरा में नरेगा का काम जिसमें 3 से,,4 लोग नरेगा का काम करते है तो बही कम से कम 20 लोगो की कपड़े बदल बदल कर ड्यूटी लगाते पंचायत मित्र अजय कुमार ने आज 3 कर रहे मजदूर को ये कहेकर भगा दिया कि आप अच्छा काम नहीं कर रहे है और खुद ट्रैक्टर मगवा कर रोटामेटर से हल्का जुतवा कर ट्रैक्टर के पहिए मि टवा दिए और मजदूर के नाम पर ड्यूटी चडा दी तो बही काम कर रहे सर्वेश का कहेना हे की में अपनी नरेगा की ड्यूटी कर रहा था तबी पंचायत मित्र अजय बोले कि अच्छा काम नहीं कर रहे हो तो मुझे बहा से भगा दिया मजदूर सर्वेश का कहेना की नरेगा मिल जाता है तो मेरी रोजी रोटी चल जाती है पर ये लोग मेरे पेट पर लात मार रहे है सर्वेश का ये भी कहेना की 4 लोग काम करते हे और कपड़ा बदल कर फोटो खीच लेते है और 10,,20 लोगो की हाजूरी लगा देते हे काम 4 लोगो को देते हे बाकी नरेगा कार्ड धारकों को काम नहीं देते बोल देते हे 2 लोगो का काम है अब देखना यह होगा कि सरकार इसे लोगो पर कार्रवाई कर करती है

एडीआर संस्था ने अपनी एक और रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में राजनीतिक पार्टियों की कमाई और खर्च का उल्लेख है। यह रिपोर्ट बताती है कि कैसे राजनीतिक पार्टियां अपने विस्तार और सत्ता में बने रहने के लिए बड़े पैमाने पर खर्च करती हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश के सबसे बड़े सत्ता धारी दल ने बीते वित्तीय वर्ष में बेहिसाब कमाई की और इसी तरह खर्च भी किया। इस रिपोर्ट में 6 पार्टियों की आय और व्यय के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, सीपीआई एम और बीएसपी और एनपीईपी शामिल हैं। दोस्तों, *---- आपको क्या लगता है, कि चुनाव लडने पर केवल राजनीतिक दलों की महत्ता कितनी जरूरी है, या फिर आम आदमी की भूमिका भी इसमें होनी चाहिए? *---- चुनाव आयोग द्वारा लगाई गई खर्च की सीमा के दायेंरें में राजनीतिक दलों को भी लाना चाहिए? *---- सक्रिय लोकतंत्र में आम जनता को केवल वोट देने तक ही क्यों महदूद रखा जाए?

किसान परेशान

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तमाम गैर सरकारी रिपोर्टों के अनुसार इस समय देश में बेरोजगारी की दर अपने उच्चतम स्तर पर है। वहीं सरकारें हर छोटी मोटी भर्ती प्रक्रिया में सफल हुए उम्मीदवारों को नियुक्त पत्र देने के लिए बड़ी-बड़ी रैलियों का आयोजन कर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों को भी आमंत्रित कर रही हैं, जिससे की बताया जा सके कि युवाओं को रोजगार उनकी पार्टी की सरकार होने की वजह से मिल रहा है।

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जन समस्या