जमालपुर में ग्राम प्रधान व अधिकारियों की जुगलबंदी से मछुआ आवासीय योजना में किया जा रहा जमकर भ्र्ष्टाचार आवास योजना में आवास बनवाने के नाम पर पात्र लाभार्थियों से मांगे जा रही बीस हजार की रिश्वत ग्रामीणों ने ग्राम प्रधान और सेक्रेटरी पर रिश्वत मांगने का आरोप लगाकर जिलाधिकारी को दिया ज्ञापन लिस्ट में नाम शामिल होने के बाबजूद सुविधा शुल्क के अभाव में नाम कटवाने का भी आरोप ललितपुर। जहां एक ओर मोदी सरकार और योगी सरकार मछुआ समुदाय के पात्र लाभार्थियों को मछुआ आवास के रूप में पक्का मकान देंकर उन्हें परिबार के साथ छत के नीचे रहने का मौका दे रही है, तो वही दूसरी ओर सरकार की इस योजना को पलीता लगाने का काम गांव के ग्राम पंचायत अधिकारी और ग्राम प्रधान मिलकर कर रहे हैं । आलम यह है कि ग्राम प्रधान और अधिकारियों की जुगलबंदी के चलते पात्र लाभार्थियों से आवास मुहैया कराने के नाम पर बीस-बीस हजार रुपयों की रिश्वत मांगी जा रही है और जो लाभार्थी रिश्वत नहीं दे पाते उनका नाम सूची से कटवाने का काम किया जा रहा है। इसके साथ ही रिश्वत लेकर अपात्रों को आवास बनवाए जा रहे हैं। ऐसे ही एक मामले में विकासखंड तालबेहट की ग्राम पंचायत जमालपुर के कुछ ग्रामीण बुधवार को जिलाधिकारी कार्यालय पर पहुंचे, जहां उन्होंने जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर अपने गांव के ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारी पर मछुआ आवास दिलाने के नाम पर 20-20 हजार की घोष लेने के आरोप लगाए और घूस लेकर अपात्र लाभार्थियों को आवास बनवाने के भी आरोप लगाकर पूरे मामले की जांच कर कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्यवाही करने की मांग उठाई। बुधबार को तालबेहट अन्तर्गग ग्राम जमालपुर के करीब एक दर्जन से अधिक ग्रामीण कलेक्ट्रेट परिसर में धरना प्रदर्शन करते हुए नजर आए, क्योंकि उनके गांव की ग्राम प्रधान नन्हे राजा और ग्राम पंचायत अधिकारी द्वारा मछुआ आवास बनवाए जाने के नाम पर पात्र लाभार्थियों से अबैध रूप से प्रति लाभार्थी 20-20 हजार रुपए की मांग की जा रही है। इसके संबंध में उन्होंने जिला अधिकारी को ज्ञापन देकर ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारी पर घूस मांगने के आरोप लगाए और पैसा लेकर अपात्र लाभार्थियों को आवास दिलाने और पात्र लाभार्थियों का मछुआ आवास की लिस्ट से नाम काटने के भी आरोप लगाए। इसके साथ ही उन्होंने पूरे मामले की जांच कर कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्यवाही करने की मांग उठाई। पात्र लाभार्थियों द्वारा डीएम को दिए गए ज्ञापन में अवगत कराया गया है कि सरकार की मछुआ आवास योजना के तहत उन्होंने पात्र लाभार्थी होने के नाते आवेदन किया था। आवेदन करने के बाद आवासीय योजना की लिस्ट में उन सभी का नाम शामिल किया गया था। लेकिन गांव के ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारी द्वारा आवास बनवाने के नाम पर उनसे 20-20 हजार की घोष मांगी जा रही है और जो लाभार्थी ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारी की मनसा की अनुरूप सुविधा शुल्क नहीं दे रहा उनका नाम आवास की लिस्ट से कटवा कर अपात्र का नाम जोड़ा जा रहा है, क्योंकि अपात्र ग्राम प्रधान को पैसा दे रहे हैं। वह आवेदन करने के बाद आवास बनवाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन उनके आवास इसलिए नहीं बन पा रहा है कि वह ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारी को पैसा देने में सक्षम नहीं है। ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि गांव में तैनात ग्राम पंचायत अधिकारी और प्रधान द्वारा अपात्र लाभार्थी हर कंवर पत्नी नरेश प्रीति पत्नी हरकिशन का नाम सूची में जोड़ दिया गया है और इसे 15-15 रुपए की रिस्पत भी ली गई है जबकि पहले से पात्र लाभार्थियों की सूची में इनका नाम नहीं था। बॉक्स : इन ग्रामीणों का कहना है : इस मामले में गांव के लाभार्थी मंजू, संगीता, बैजू, मुकेश के साथ अन्य ग्रामीणों का कहना है कि उनके पास रहने के लिए पक्का मकान नहीं था जिसके लिए उन्होंने ग्राम प्रधान के माध्यम से मछुआ आवास के लिए आवेदन किया था। आवास की लिस्ट में नाम आने के बाद ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारी द्वारा आवास बनवाने के नाम पर 20-20 हजार रुपए प्रति लाभार्थी की मांग की जा रही है । जो लाभार्थी ग्राम प्रधान और अधिकारियों को पैसा दे रहे हैं उनके आवास बनाए जा रहे हैं और जो लाभार्थी ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारी द्वारा मांगी गई रकम देने में सक्षम नहीं है, उनका नाम लिस्ट से हटाया जा रहा है। गांव में ऐसे कई लोगों की आवास बन चुके हैं जो कहीं से भी पात्र लाभार्थी नहीं है। गांव में कई अपात्र लाभार्थियों की आवास बनवा दिए गए हैं, जबकि पात्र लाभार्थी दर-दर भटक रहे हैं।