गौपालकों को खातों में गायों के पालने के खर्चे का पैसा ना आने से ग्रामीण परेशान डीएम को शिकायती पत्र देकर उठाई कार्यावाही की मांग अमझरा गौशाला से सरकारी खर्चे पर पालने के लिए ली गई गाय का पैसा सालों से गौपालकों के खातों में नहीं भेजी गई धनराशि गौपाल का आरोप : 2020 से खातों में नहीं आई धनराशि, जनसूचना मांगने पर नहीं दी सूचना ललितपुर। प्रदेश सरकार ने आवारा गोवंसों के संरक्षण के लिए जहां एक और स्थाई और अस्थाई गोवंश आश्रय स्थल को खुलवाने का काम किया, तो वहीं पर उन्होंने एक योजना को और लागू किया कि जो भी ग्रामीण गौशाला से पालने के लिए गायों को लेगा, उन्हें सरकार गौवंश के संरक्षण हेतु अनुदान भी देगी। प्रदेश सरकार की इस योजना को धरातल पर उतार भी गया, लेकिन अब उसके हालत बद से बत्तर हो रहे है। क्योंकि गौपालको के खातों में सरकार द्वारा भेजे जाने वाली महीने की धनराशि नहीं आ रही है, जिससे गोपालक परेशान दिखाई दे रहे हैं। हाल ही में गोपालक के परेशान होने का मामला विकासखंड मड़ावरा क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम परौल का है, जहां के ग्रामीण में इलाके की गौशाला से एक गए पालने के लिए ली थी। लेकिन अब उसके खातों में गाय के संरक्षण के लिए धनराशि नहीं भेजी जा रही, जबकि एक गए के साथ अब उसके चार बछड़े और भी है, जिनके पालने की जिम्मेदारी अब उसे ग्रामीण पर है, जिसके पास उन्हें भोजन कराने के लिए धन की व्यवस्था नहीं हो पा रही। उक्त मामले में पीड़ित ग्रामीण ने जिला अधिकारी को ज्ञापन देकर पूरे मामले से अवगत कराया और सहायता राशि उपलब्ध कराने की मांग उठाई। इसके साथ ही ग्रामीण का आरोप है कि जब उसने इस मामले में जन सूचना मांगी, तो उसे जन सूचना भी नहीं दी गई। जिससे उसे खातों में भेजी जाने वाली धनराशि के बारे में स्पष्ट जानकारी भी नहीं हो पा रही है। विकासखण्ड मडाबरा के ग्राम पारौल निवासी जगलाल पुत्र कडोरी लाल मंगलबार को जिलाधिकारी कार्यालय पर उपस्थित हुआ, जहां उसने जिला अधिकारी को शिकायती पत्र देकर अपने गोपालक होने का दावा किया और गौशाला से ली गई गाय और उसके बछड़ों को पालने के लिए मिलने वाले सरकारी धन को दिलाए जाने की मांग उठाई। दिए गए ज्ञापन में अवगत कराया गया है कि उसने प्रदेश सरकार की योजना के तहत करीब 4 वर्ष पूर्व इलाके में संचालित होने वाले अमझरा गौवंश आश्रय स्थल से एक गाय पालने के लिए ली थी। क्योंकि सरकार की योजना के तहत एक गाय पालने की एवज में 900 रुपये प्रतिमाह गोपालको के खातों में भेजा जाता है। गाय लेने के बाद कुछ समय तक तो उसके खाते में योजना के अनुसार गाय की संरक्षण और देखरेख के लिए धनराशि भेजी गई लेकिन सन 2020 से भेजी जाने वाली धनराशि बंद कर दी गई जबकि वह लगातार गाय को पल रहा है और वर्तमान समय में गाय के साथ उसके तीन बछड़े भी है जिनके पालने की जिम्मेदारी उसे पर है इसके बावजूद अधिकारियों द्वारा उसके खातों में गाय को पालने वाली धनराशि नहीं भेजी जा रही जिससे उसे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है कई बार उसने इस बाबत अधिकारियों को शिकायती पत्र दिया लेकिन इस मामले में अधिकारियों द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। उसने 11 जनवरी 2024 को एक प्रार्थना पत्र दिया था इसके बाद माह अक्टूबर नवंबर दिसंबर 2023 की 2700 रुपए की धनराशि उसके बैंक खाते में भेजी गई थी और उसके बाद अब तक कोई धनराशि नहीं आई इसके पहले पिछले 3 सालों की भी कोई धनराशि उसे नहीं दी गई इसके संबंध में उसने एक जन सूचना भी मांगी थी तो अधिकारियों ने उसे उक्त जन सूचना नहीं दी जिससे उसे जानकारी नहीं हो पा रही कि पिछले समय में पैसा उसकी खाते में भेजा गया है या नहीं। ग्रामीण ने एक बार फिर जिला प्रशासन से गाय और बछड़ों को पालने के संबंध में धनराशि दिलाए जाने की गुहार लगाई है।