उत्तर प्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से सेहनाज़ मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि राजनीतिक दान पर दल और यहां तक कि सरकारें भी सब कुछ छिपाना चाहती हैं । सरकारें आम आदमी की आय का एक - एक पैसा देना चाहती हैं , लेकिन कोई भी राजनीतिक दलों के दान का हिसाब नहीं देना चाहता है । दलों के दान के बारे में जानने का अधिकार जनता को नहीं दिया जाता है , उदाहरण के लिए , यह कहा गया था कि संविधान के अनुच्छेद उन्नीस एएए के तहत कुछ भी और सब कुछ जानने का कोई सामान्य अधिकार नहीं है ।

एडीआर संस्था ने अपनी एक और रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में राजनीतिक पार्टियों की कमाई और खर्च का उल्लेख है। यह रिपोर्ट बताती है कि कैसे राजनीतिक पार्टियां अपने विस्तार और सत्ता में बने रहने के लिए बड़े पैमाने पर खर्च करती हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश के सबसे बड़े सत्ता धारी दल ने बीते वित्तीय वर्ष में बेहिसाब कमाई की और इसी तरह खर्च भी किया। इस रिपोर्ट में 6 पार्टियों की आय और व्यय के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, सीपीआई एम और बीएसपी और एनपीईपी शामिल हैं। दोस्तों, *---- आपको क्या लगता है, कि चुनाव लडने पर केवल राजनीतिक दलों की महत्ता कितनी जरूरी है, या फिर आम आदमी की भूमिका भी इसमें होनी चाहिए? *---- चुनाव आयोग द्वारा लगाई गई खर्च की सीमा के दायेंरें में राजनीतिक दलों को भी लाना चाहिए? *---- सक्रिय लोकतंत्र में आम जनता को केवल वोट देने तक ही क्यों महदूद रखा जाए?

उत्तर प्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से गॉस मोहम्मद मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है की बीते दिनों राज्यसभा चुनाव हुआ लेकिन बहुत से दल के नेता ने अपना पाला बदल लिया।आज लोग स्वार्थ के लिए अपनी ही पार्टी छोड़ कर दूसरी पार्टियों के साथ खेल रहे हैं।

उत्तर प्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से मोहम्मद नसरुद्दीन मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि मंगलवार को यूनाइटेड अकादमी कांतागंज के दर्जनों छात्रों ने फिर से परीक्षा की मांग को लेकर एक रैली निकाली । रैली कांतागंज से दोस्तपुर ब्लॉक चौराहा तक गई । रैली का नेतृत्व कर रहे विजय बहादुर निषाद दिनेश कुमार और विनोद कुमार ने कहा कि सरकार को परीक्षा फिर से आयोजित करनी चाहिए क्योंकि परीक्षा आयोजित होने से पहले ही पेपर लीक हो गया था ।

Transcript Unavailable.

उत्तर प्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से गौस मोहम्मद मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि आज राज्यसभा के लिए वोट डाले जा रहे हैं लेकिन जिस तरह से वर्तमान सरकार है विद विपक्षी विधायकों पर उनका अनुसरण करने का दबाव बना रहा है , यह एक तरह से लोकतंत्र की हत्या कर रहा है , लोगों को ऐसा नहीं करना चाहिए । ऐसा इसलिए नहीं है कि उसने अपनी संपत्ति के लिए वह जमीन बेच दी जो आप उसके साथ जाते हैं , जो इतनी बेरोज़गारी के बाद इतनी महंगी है । यह बहुत दुख की बात है कि ऐसे जन - प्रतिनिधि ऐसे जन - प्रतिनिधियों को समाज में बिल्कुल भी प्रवेश न करने दें , उन्हें गांव में प्रवेश न करने दें , उन्हें बिल्कुल भी वोट न दें । जो लोग किसी भी पार्टी से संबंधित हैं , अगर वे किसी भी तरह से ऐसा करते हैं , तो किसी भी तरह के सहकारी पुनर्निर्वाचन में उन्हें वोट न दें ,

उत्तर प्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से सेहनाज़ मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि सरकारी नौकरी की तलाश करने वाले लाखों युवाओं के लिए यह किसी सपने से कम नहीं है , महीनों की कड़ी मेहनत के बाद एक अवसर जीवन को बदल सकता है , लेकिन क्या होगा अगर उनकी कड़ी मेहनत हाल ही में 28 जनवरी को पेपर लीक होने से दूषित हो जाए ? पेपर लीक और नकल को रोकने के लिए झारखंड राज्य आयोग के सख्त कानूनों के बावजूद , ऐसे मामले सामने आते हैं । यदि ऐसा करते हुए पाया जाता है , तो उसे कम से कम दस साल तक के कारावास और दस करोड़ रुपये तक के जुर्माने की सजा हो सकती है । उनमें से , सर्वश्रेष्ठ आकांक्षी गति और परीक्षा में बैठने वाले नए छात्र भी शामिल हैं । हाल के वर्षों में , भारत में पेपरलिक की घटनाओं में लगातार वृद्धि हुई है , जिससे परीक्षा रद्द कर दी गई है ।

तमाम गैर सरकारी रिपोर्टों के अनुसार इस समय देश में बेरोजगारी की दर अपने उच्चतम स्तर पर है। वहीं सरकारें हर छोटी मोटी भर्ती प्रक्रिया में सफल हुए उम्मीदवारों को नियुक्त पत्र देने के लिए बड़ी-बड़ी रैलियों का आयोजन कर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों को भी आमंत्रित कर रही हैं, जिससे की बताया जा सके कि युवाओं को रोजगार उनकी पार्टी की सरकार होने की वजह से मिल रहा है।

उत्तरप्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से मोहोम्मद ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि ए . एस . पी . मांगों और मांगों के बारे में सरकार के साथ कई दौर की बातचीत की है , लेकिन यह देखा जा रहा है कि सरकार अपना और हठधर्मी रवैया अपना रही है । सरकार के पास दिनों में खर्च करने के लिए या दान पर खर्च करने के लिए बहुत पैसा है , लेकिन उसके पास किसानों को उनका एमएसपी देने के लिए पैसे नहीं हैं , उसके पास किसानों को उनका हक देने के लिए पैसे नहीं हैं , उसके पास किसानों को उनका समर्थन मूल्य देने के लिए पैसे नहीं हैं ।

उत्तरप्रदेश राज्य के सुल्तानपुर से फकरुद्दीन मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही हैं कि किसानों की भी अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी है । इस समय किसान आंदोलन कर रहे हैं कि वे अपनी उपज की गारंटी चाहते हैं यानी एम . एस . पी . कि हमारी उपज इतनी कीमत पर बेची जाएगी , सरकार उस एम . एस . पी . को भी लागू करने से कतराती जा रही है । जो एक दुखद बात है क्योंकि इसमें कहा गया है कि उद्योगपतियों के लगभग चौदह हजार करोड़ रुपये के बैंक ऋण माफ किए गए हैं , जो एक बड़ी संख्या है । इसकी तुलना में बहुत बड़ी राशि है , अगर किसानों की मांग मानी जाती है और उनके लिए एम . एस . पी . कानून लागू किया जाता है , तो उनके बच्चों को भी उच्च जीवन स्तर मिलेगा ।