उत्तर प्रदेश राज्य के रायबरेली जिला के लालगंज प्रखंड से प्रमोद कुमार तिवारी मोबाइल वाणी के माध्यम से यह कह रहे है की उनके क्षेत्र में बहुत गन्दगी है

मानसिक डर का इलाज | मन के अंदर होने वाली घबराहट को अक्सर डर कहा जाता है। हमारे जीवन में कई ऐसी बातें होती हैं जिनके बारे में सोचकर हम घबराने लगते हैं या फिर अंदर ही अंदर डर लगने लगता है। तो इस मानसिक डर का इलाज कैसे किया जाये और “मन से डर को कैसे निकाले?” डर एक सामान्य बात है जो हर किसी व्यक्ति में होता है। लेकिन जो यह नहीं जानते कि अपने अंदर के डर को कैसे खत्म करें, उन पर डर भावनात्मक रूप से हावी हो जाता है। वे लोग हमेशा घबराये हुए रहते हैं और किसी भी समस्या का सामना नहीं कर पाते। आज हम इस लेख में, मन से डर कैसे दूर करें और डर दूर करने के मंत्र के बारे में बात करेंगे।  आइये एक घटना से समझते हैं कि मन के डर को कैसे दूर कर सकते हैं?? एक बार मुझे एक मीटिंग में प्रेजेंटेशन देना था, जिसके लिए मैं तैयार नहीं थी। मैं बहुत डरी हुई थी। मेरी हथेलियां पसीने से भीगी हुई थी और मेरे दिल की धड़कन भी बहुत तेज़ हो गई। मैं ध्यान लगा कर कुछ पढ़ भी नहीं पा रही थी। मुझे पता था कि मैं डरी हुई हूँ, इतने सारे लोगों के सामने बोलने का डर मुझे काट रहा था।  इस हालत में, मैं एकदम कोने में जाकर छुप गई और मैंने कुछ देर तक ध्यान किया। उन चंद मिनटों के गहरे मौन के बाद मानों कि कोई जादू ही हो गया हो। मैं अंदर से एकदम शांत हो गई और मुझे एक नया आत्मविश्वास मिल गया।  उस समय मुझे लग रहा था कि मैं अपने मानसिक डर का इलाज कैसे करूंगी। लेकिन मैं जानती हूँ कि डर हमें प्रकृति से एक वरदान के रूप में मिलता है और ध्यान ही डर दूर करने का मंत्र है। मैं जैसे जैसे ध्यान करती हूँ मैरा डर उतना कम होता जाता है। डर पर जीत पाने का सबसे अच्छा रास्ता है हमारा विश्वास, हमारी आस्था। यह आस्था कि हमारे साथ जो होगा, वह अच्छा होगा।  दूसरों पर भरोसा न होने के कारण भी डर की उत्तपत्ति होती है। एक दूसरे के बीच की दूरी किसी भी परिवार या समाज में अविश्वास और भय को जन्म देती है एवं विकास के लिए नुकसानदायक होती है।  आप कानून से डर सकते हैं लेकिन समाज में आप डर के साथ काम नहीं कर सकते हैं। डर कैसा भी हो सकता है जैसे अधिकारी का डर, अपनों से बड़ों का डर, प्रिय व्यक्ति को खो देने का डर, नौकरी चले जाने का डर या फिर उत्पीड़न का डर। सच्चाई यही है कि मन से डर को कैसे निकाले, यह बात हमें कोई सीखाता ही नहीं है। और जब तक यह डर मन से नहीं निकलता हम कोई भी काम कर पाने में असमर्थ होते हैं। जीवन में डर खाने में नमक जितना ही अच्छा है। इस लेख में हम मन के डर को कैसे दूर करें इसके रहस्यों के बारे में जानेगें। 1. पुरानी बातों को भुला दें, भय मुक्त हो जाएँ जो बीत गया सो बीत गया। अक्सर हम बीती हुई बातों को लेकर चिंता में पड़ जाते हैं जैसे कि आप अगर कुत्तों से डरते हैं तो आपका पहले कभी कुत्तों से कोई बुरा अनुभव हुआ होगा।  आपने देखा होगा कि बच्चों को किसी चीज़ से डर नहीं लगता, क्योंकि उन्होंने पहले कभी उसे अनुभव नहीं किया होता है। हम जैसे-जैसे बड़े होते है, अनुभव लेते हैं तो उन अनुभवों के आधार पर हम डर तय करते हैं। योग और ध्यान साधना ही मन के अंदर व्याप्त डर को दूर करने का मंत्र है।  रूपल राणा जी ने हमें बताया कि उन्हें अँधेरे में चलने से डर लगता था तो उनके दोस्त ने बताया कि वह अपने अंदर के डर को कैसे खत्म कर सकती है। उन्होंने नियमित रूप से ध्यान साधना करना शुरु किया। करीब दो वर्षों से वें ध्यान साधना का अभ्यास कर रही हैं और अब उन्हें अंधेरे से डर नहीं लगता   2. चिंता का सामना करें चिंता हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा है। जब हम चिंता करते हैं तब हमारा दिमाग विचारों के एक भंवर में फंस जाता है। यहीं विचार डर को जन्म देते हैं।    3. 'मैं' को छोड़ दें  भय का मुख्य कारण है अहंकार। हम लोगों से मिलते हैं और उन्हें प्रभावित करने के लिए अक्सर मैं-मैं का राग अलापते हैं। लोग-मित्र आपके बारे में क्या सोचते हैं यह भी डर का एक कारण है। अपने मन से डर को निकालने के लिए मैं को छोड़ देना ही उचित है। ध्यान-साधना से हम इस डर को फिर से प्रेम में बदल सकते हैं। 20 मिनट का दैनिक अभ्यास हमारे अंदर के भय के बीज को समूल नष्ठ कर देने का सामर्थ्य रखता है।  कामना अरोरा जी बताती हैं कि उन्होंने अपने अंदर के डर को कैसे खत्म किया। साथ ही वे अपने सामाजिक जीवन में अकेली शाकाहारी व्यक्ति थीं और अपने दोस्तों को यह बताने में डर महसूस करती थीं कि कहीं वे लोग उन्हें अस्वीकार ना कर दे। अरोरा जी अपने दोस्तों को प्रभावित करने के लिए झूठ बोलती थी। अपने मानसिक डर का इलाज करने के लिए उन्होंने ध्यान-साधना का सहारा लिया। इससे उन्हें पर्याप्त मानसिक बल मिला और उन्होंने अपने दोस्तों को सच बताया। ध्यान-साधना हमारे मन को शांत करते हैं और किसी भी परिस्थिति का सामना करने की शक्ति देते हैं। यह हर उस व्यक्ति के लिए उत्तर है जिनका प्रश्न है कि मन के डर को कैसे निकाले।  एम.बी.ए. के छात्र साहिब सिंह ने बताया कि एम.बी.ए. की परीक्षा के समय ध्यान-साधना उनके लिए जीवन रक्षक की तरह साबित हुई। हर परीक्षा से पहले उनको यही डर होता था कि जो पढ़ा है सब भूल जाएंगे। साहिब सिंह का यही सवाल था कि अपने मन से डर को कैसे निकाले। इसके लिए उन्होंने ध्यान-साधना का सहारा लिया।  चिंता का एक और मुख्य कारण है हमारे अंदर प्राण-शक्ति का कम होना। ध्यान से हमारे अंदर प्राण-शक्ति बढ़ती है जिसके परिणामस्वरूप हम चिंता मुक्त हो जाते हैं।   भय-मुक्त जीवन जीने के लिए 6 ध्यान-सूत्र जब आपको बेचैनी, आशंका या भय का अनुभव हो, तब मन को शांत करने के लिए कुछ मिनटों का ध्यान बहुत सहायक सिद्ध होता है।   ह्म्मम्म्म्म प्रक्रिया - भय से तत्काल बाहर निकलने का सबसे अच्छा उपाय है। स्वयं को लगातार स्मरण कराते रहें कि सब कुछ अच्छे के लिए ही होता है। ध्यान साधना का नियमित अभ्यास करें। प्रतिदिन 20 मिनट का ध्यान अंततः आपको भय और चिंताओं से मुक्त कराएगा। यद्यपि ध्यान-साधना के लिए प्रातःकाल का समय सबसे उपयुक्त होता है, फिर भी दिन में किसी भी समय, जब आपका पेट खाली हो, आप ध्यान कर सकते हैं। गहन ध्यान का अनुभव करने के लिए एक शांत स्थान का चयन करें। भय-रूपी सिक्के का दूसरा पहलू   आप को थोड़ा भय होना एक सहज बात है। जिस प्रकार भोजन में थोड़े नमक की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार आदर्शपूर्ण जीवन व्यतीत करने के लिए जीवन में थोड़ा भय होना आवश्यक है। कल्पना करें कि यदि किसी भी व्यक्ति को किसी भी बात का भय न हो, तो क्या होगा? यदि असफलता का भय न हो तो विद्यार्थी पढ़ना छोड़ देंगे। यदि आपको बीमार होने का डर न हो, तो आप अपने स्वास्थ्य की देखभाल नहीं करेंगे। इसलिए जीवन में थोड़े डर के होने की उपयोगिता को पहचाने। ध्यान-साधना का नियमित अभ्यास आपको तनाव सम्बन्धी सभी समस्याओं से मुक्ति दिलाता है, आपके मन को शांत करता है और आपको तरोताज़ा कर देता है।

25 सितंबर को वार्षिक विश्व फार्मासिस्ट दिवस है। 2023 वर्ष की थीम “ फार्मासिस्ट स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत कर रहे हैं ” है। यह विषय क्यों? इस वर्ष की थीम का उद्देश्य COVID-19 संकट के बाद दुनिया भर में स्वास्थ्य प्रणालियों की भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक बुद्धिमान समाधान के रूप में फार्मासिस्टों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के अवसर प्रस्तुत करना है। यह अभियान इसके मूल्य और स्वास्थ्य में सुधार की निरंतर क्षमता के बारे में जागरूकता पैदा करता है। 2023 के लिए एफआईपी का मिशन: फार्मेसियों को और अधिक करने दें। इंटरनेशनल फार्मास्युटिकल फेडरेशन (एफआईपी) फार्मेसी पेशे के सभी क्षेत्रों के सहयोगियों को अभियान में भाग लेने और दुनिया को यह दिखाने के लिए आमंत्रित करता है कि हम संघर्ष, विभिन्न राजनीति और संस्कृतियों और आर्थिक असमानता की परवाह किए बिना स्वास्थ्य के लिए कैसे एकजुट हैं। “संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य संख्या 3 कई स्वास्थ्य लक्ष्य निर्धारित करता है, जिसमें गैर-संचारी रोग (जैसे हृदय रोग, कैंसर, मधुमेह, पुरानी श्वसन रोग और मानसिक स्वास्थ्य) और संचारी रोग (उदाहरण के लिए, एचआईवी, तपेदिक) शामिल हैं। और उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग)। हमने इनमें से कई क्षेत्रों में सुधार देखा है और हमारे पेशे को इस पर गर्व होना चाहिए और इसके योगदान को बताना चाहिए। हालाँकि, COVID-19 महामारी ने प्रगति में बाधा उत्पन्न की है और यह जरूरी है कि हम बेहतर निर्माण के लिए एकजुट हों, ”FIP अध्यक्ष श्री डोमिनिक जॉर्डन ने कहा। विश्व फार्मासिस्ट दिवस 2023 के लिए एफआईपी का संदेश स्पष्ट है: फार्मेसियों को और अधिक करने दें। विश्व फार्मासिस्ट दिवस नामक उत्सव क्यों मनाया जाता है? विश्व फार्मासिस्ट दिवस का उद्देश्य, जिसे इस्तांबुल में एफआईपी काउंसिल 2009 में लागू किया गया था, उन गतिविधियों को प्रोत्साहित करना है जो दुनिया के हर कोने में स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में फार्मासिस्ट की भूमिका को बढ़ावा देते हैं और उसकी वकालत करते हैं। फार्मासिस्ट ही वे कारण हैं जिनकी वजह से लोग अपनी दवाओं से सर्वोत्तम लाभ प्राप्त करते हैं, वे अपने अनुभव, ज्ञान और विशेषज्ञता का उपयोग (चिकित्सा) दुनिया को हर किसी के लिए एक बेहतर जगह बनाने के लिए कर रहे हैं। इसके अलावा, वे दवाओं तक पहुंच प्रदान करते हैं, लोगों को उन्हें ठीक से लेने के बारे में सलाह देते हैं और भी बहुत कुछ। 2020 से, एफआईपी ने फार्मेसी पेशे के सभी पहलुओं को शामिल करने के लिए उत्सव का विस्तार करने के लिए विश्व फार्मेसी सप्ताह भी शुरू किया है। यह 25 सितम्बर को ही क्यों मनाया जाता है? एफआईपी के तुर्की सदस्यों ने तारीख का सुझाव दिया क्योंकि एफआईपी की स्थापना उसी दिन 1912 में हुई थी।

पृथ्वी के चारो ओर गंधहीन, रंगहीन और स्वाद हीन पारदर्शी गैसो के मिश्रण का एक विशाल आवरण है, ज़ो कई सौ किलोमीटर मोटा है l इस आवरण को ही वायुमंडल कहा जाता है l नाइट्रोजन (78.03%), ऑक्सीजन (20.99%), ऑर्गन (0.932%), कार्बन डाई ऑक्साइड (0.03%)....

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