सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कड़ा के अधीक्षक डॉ मो सऊद के निर्देश पर शनिवार को अस्पताल क्षेत्र के विभिन्न उप स्वास्थ्य केंद्रों पर नौनिहालों को जीवन रक्षक टीके लगाए गए साथ ही गर्भवती महिलाओं को जरूरी दिशा निर्देश देते हुए उन्हें जरूरी दवा मुहैया कराई गई।स्वास्थ्य कर्मियों ने गर्भवती महिलाओं को टीके लगाकर उनको ममता कार्ड बनाकर दिया।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कड़ा के अधीक्षक डॉ मो सऊद के निर्देश पर खण्ड स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी कड़ा प्रभाकर सिंह चंदेल ने शनिवार को उप स्वास्थ्य केंद्र शादीपुर व ख्वाजकीमई का औचक निरीक्षण किया है।इस दौरान उन्होंने ड्यूटी पर तैनात स्वास्थ्य कर्मियों से कार्य मे हीलाहवाली न करने व केंद्र में आने वाले लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने हेतु निर्देशित किया।उन्होंने स्वास्थ्य कर्मियों को शासन के अनुरूप कार्य करने की बात कही साथ ही कार्य मे हीलाहवाली करने पर सख्त कार्रवाई का अल्टीमेटम दिया

स्नातक MLC डॉ यज्ञदत्त शर्मा का हुआ निधन,लखनऊ के मेदांता अस्पताल में ली अंतिम सांस,कड़ा ब्लाक क्षेत्र में शोक की लहर, प्रयागराज झांसी से 1996 से 2020 तक लगातार भाजपा के स्नातक MLC रहे डाक्टर यज्ञ दत्त शर्मा का गुरुवार को लखनऊ के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया है।यज्ञ दत्त शर्मा के निधन की खबर जैसे ही कड़ा ब्लाक क्षेत्र में उनके समर्थकों को हुई तो उनमें शोक की लहर दौड़ गई।डाक्टर यज्ञ दत्त शर्मा लगभग 82 वर्ष के थे,वह  प्रयागराज-झांसी स्नातक क्षेत्र से 1996 से 2020 तक लगातार 24 वर्ष भाजपा से MLC रहे,उनके व्यवहार कुशलता के चलते वह शिक्षको में अत्यधिक मशहूर रहे ,उन्होंने कौशाम्बी जिले के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए है। डॉ0 यज्ञदत्त शर्मा पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ थे और लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती थे,जहा उनका इलाज चल रहा था,उनके निधन की खबर से क्षेत्र में शोक व्याप्त है

नगर पंचायत दारानगर कड़ाधाम के फराहिमपुर कालेश्वरमऊ स्थित जर्जर आंगनबाड़ी केंद्र में नन्हे मुन्ने बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं।केंद्र के जर्जर होने से कभी भी कोई अप्रिय घटना घट सकती है।आंगनबाड़ी केंद्र के जर्जर भवन को देखकर लोग अपने बच्चों को यहाँ भेजने से डरने लगे हैं।केंद्र में काफी अव्यवस्था है।लोगों का कहना है कि मामले की बाबत कई बार विभागीय जिम्मेदारों से इसकी शिकायत की जा चुकी है लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है।अब देखना है कि प्रशासन इस पर क्या कदम उठाता है या किसी अनहोनी का इंतजार करता है।स्थानीय लोगो ने आलाधिकारियों से जर्जर केंद्र को दुरुस्त कराए जाने की मांग की है।

स्वस्थ भारत के निर्माण में आगे आकर आंगनबाड़ी केंद्रों को समृद्ध बनाएं

हेल्थ टीम ने अवध अस्पतालों के खिलाफ चलाया चेकिंग अभियान

बाइक की टक्कर से सड़क पार रहा युवक गंभीर पिपरी थाने के मनौरी पावर हाउस के समीप सड़क पार कर रहे युवक को बाइक सवार ने टक्कर मार दी। टक्कर लगते ही युवक सड़क पर गिरकर गंभीर रुप से घायल हो गया। मौके पर जुटे स्थानीय लोगों ने घायल को उठाकर पास के निजी अस्पताल में भर्ती कराया। हालत नाजुक होने पर डाक्टर ने उसे प्रयागराज रेफर कर दिया। निजामपुर पुरैनी गांव निवासी सुरेंद्र सिंह पटेल (32) मजदूरी कर परिवार का गुजारा करता है। पिता प्रभू सिंह की मौत के बाद घर की जिम्मेदारी सुरेंद्र पर ही है। वह किसी काम से सड़क पार कर रहा था। इसी दौराना चायल की तरफ से आ रहे बेकाबू बाइक सवार ने टक्कर मार दी। टक्कर लगते ही युवक सड़क पर गिरकर गंभीर रुप से घायल हो गया। हादसे के बाद बाइक सवार बाइक छोड़कर मौके से फरार हो गया। स्थानीय लोगों ने भागकर उसे उठाया और इलाज के लिए पास के निजी अस्पताल में भर्ती कराया। हालत नाजुक होने पर डाक्टर ने उसे प्रयागराज रेफर कर दिया। घटना की जानकारी मिलने के बाद घायल के परिजन भी अस्पताल पहुंच गए। सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंची चायल चौकी पुलिस ने बाइक को अपने कब्जे में लेकर जांच शुरु कर दी है।

दोस्तों किसी शायर ने क्या खूब कहा है? न रोने की वजह थी, न था हंसने का बहाना. खेल खेल में कितना कुछ सीखा, कितना प्यारा था वो बचपन का ज़माना. काश, लौट आए फिर से वो कल सुकून भरा बचपन मनाएं हर पल. सच में कितने मज़ेदार थे ना वह बचपन के दिन? चलिए एक बार फिर से उन्हीं दिनों को जीने की कोशिश करते हैं अपने बच्चों के संग उनके बचपन को एक त्यौहार की तरह मनाते हुए हंसते हुए, खेलते हुए, शोर मचाते बन जाते हैं उनके दोस्त और जानने की कोशिश करते हैं इस बड़ी सी दुनिया को उनकी नन्ही आंखों से और बचपन के उन प्यारे जनों को याद करने में आपका साथ देंगे बचपन बनाओ और मोबाइल वाणी की टीम .घर और परिवार ही बच्चों का पहला स्कूल है और माता पिता दादा दादी और अन्य सदस्य होते हैं उनके दोस्त और टीचर हो. साथ में ये भी कि बच्चों के दिमाग का पचासी प्रतिशत से अधिक विकास छह वर्ष की आयु तक हो जाता है. तो अगर ये कीमती साथ हमने गवा दिए. तो उनके भविष्य को उज्जवल बनाने का मौका हम खो देंगे. अब यह सब कैसे सही रखें? इसके लिए आपको सुनने होंगे हमारे आने वाले एपिसोड तब तक आप हमें बता सकते हैं कि किस तरह के देखभाल से बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास सही रह सकता है. इससे जुड़ा अगर आपका कोई सवाल है या कोई जानकारी देना चाहते हैं तो रिकॉर्ड करने के लिए फोन में अभी दबाएं नंबर 3 . सुनते रहिए कार्यक्रम बचपन मनाओ, बढ़ते जाओ.

देश के सभी नागरिको को सही स्वास्थय मिले , इसे लेकर सरकार ने 2018 आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत की। यह भारत सरकार की एक हेल्थ स्कीम है, जिसके तहत आर्थिक रूप से कमजोर नागरिको को देश के अस्पतालों में 5 लाख रु तक की मुफ्त में इलाज की सुविधा दी जाती है. इसके तहत पहली अगस्त 2023 तक 24.33 करोड़ कार्ड बनाए गए हैं। ज़ाहिर है , सरकार ने इस योजना प्रचार बहुत व्यापक तौर पर किया। नेताओ के साथ साथ सरकारी जनता ने भी देश के नागरिको को समझाने में कोई कसर नहीं छोड़ी कि सरकार गरीबो की मसीहा है। लेकिन आज 5 साल बाद अब इसी आयुष्मान भारत योजना की हकीकत अब लोगो के सामने आ रही है। ये हम नहीं कह रहे बल्कि देश के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने चौंकाने वाला खुलासा किया है. कैग ने इस योजना को लेकर जारी की अपनी अपनी ऑडिट रिपोर्ट में बताया है इस योजना के तहत ऐसे मरीज भी लाभ उठा रहे हैं, जिन्हें पहले मृत दिखाया गया था. यहीं नहीं इस योजना के तहत 9 लाख से ज्यादा लाभार्थी तो सिर्फ एक ही मोबाइल नंबर से जुड़े हुए पाए गए हैं. प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना के सबसे ज्यादा आयुष्मान कार्ड धारक मध्य प्रदेश में ही हैं. यहीं पर सबसे ज्यादा लापरवाही देखी जा रही है. ---------------तब तक आप हमें बताइए दोस्तों कि आपके गांव या जिला के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर इलाज़ की स्थिति क्या है ? ---------------वहां पर आपको किस तरह की सुविधाएँ मिल रही है ? ---------------क्या आपके पास आयुष्मान भारत योजना का कार्ड है और क्या आप उसका लाभ उठा पा रहे है ? ----------------इस बढ़ती महँगाई के कारण स्वास्थ्य पर होने वाला खर्चा आपका कितना बढ़ा है ? दोस्तों इस मुद्दे पर अपनी बात को जरूर रिकॉर्ड करें अपने फ़ोन में नंबर 3 का बटन दबाकर या मोबाइल वाणी एप्प में ऐड का बटन दबाकर।

दोस्तों, क्या आप जानते हैं कि भारत में हर साल 6.3 करोड़ लोगों को सिर्फ इसलिए गरीबी से जूझना पड़ता है क्योंकि उन्हें अपने स्वास्थ्य का खर्चा खुद उठाना पड़ता है। जिस देश में एक सांसद के स्वास्थ्य पर सरकार सालभर में 51 हजार रुपये से ज्यादा खर्च कर देती है, उसी देश के आम नागरिक के स्वास्थ्य पर सरकार 18 सौ रुपये के करीब ही खर्च कर पाती है। नेशनल हेल्थ प्रोफाइल 2021 के मुताबिक, अगर गांव में कोई व्यक्ति सरकारी अस्पताल में भर्ती होता है, तो उसका औसतन खर्च 4,290 रुपये होता है. वहीं, गांव में निजी अस्पताल में भर्ती होने पर उसे 22,992 रुपये खर्च करने पड़ते हैं. इसी तरह शहर में सरकारी अस्पताल में भर्ती होने पर 4,837 और निजी अस्पताल में 38,822 रुपये का खर्चा आता है. तो अब आप ये सोचिए जिस देश में 70 से 80 करोड़ एक वक़्त के राशन के लिए मोहताज़ हो , वो कैसे इलाज़ करवा पाएंगे। -------तब तक आप हमें बताइए दोस्तों कि आपके क्षेत्र में स्वास्थ्य व्यवस्था के क्या हालात है ? -------आपके सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर इलाज़ की स्थिति क्या है ? --------इस बढ़ती महँगाई के कारण स्वास्थ्य पर होने वाला खर्चा आपका कितना बढ़ा है ? --------दोस्तों इस मुद्दे पर अपनी बात को जरूर रिकॉर्ड करें अपने फोन से 3 नंबर का बटन दबाकर या फिर मोबाइल वाणी एप के जरिए एड का बटन दबाकर, क्योंकि याद रहे दोस्तों, बोलेंगे तो बदलेगा?