इस संस्था की स्थापना झांसी में 2015 में हुई थी इसके अंतर्गत ग्रामीण परिवेश में रहने वाली महिलाओं और पुरुषों को विभिन्न प्रकार के हुनर सीखा कर बेहतर जिंदगी बसर करने का मौका दे रही है।

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रसोई के खराब बर्तन, दरजी की दुकान से निकले हुए कतरन, साइकिल की दुकान से निकले हुए खराब सामान और शराब की बोतलों से अलग-अलग आकर के समान बना रही हैं नीलम सारंगी। उनकी संस्था का नाम "बेकार को आकार" यूं ही नहीं दिया गया है। स्थानीय लोग उसकी सराहना भी करते हैं। नीलम जी अपनी तरह और महिलाओं को यह हुनर सीखा भी रही हैं।