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फतेहपुर छिवलहा, । रिकौहा गांव की गलियां देख बरसात के दिन याद आते हैं। चहुंओर गंदगी व उठती दुर्गंध से सांस लेना दुश्वार है। दलदल व कीचड़ से गुजरने को विवश महिलाएं व बच्चे उसी में गिरकर चोटिल हो रहे हैं। जिम्मेदारों संग सफाई कर्मी की बेपरवाही का खामियाजा ग्रामीण भुगत रहे हैं। उधर, केन्द्रीय राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने ग्रामीणों की शिकायत पर अफसरों पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए गांव के हालात दुरुस्त कराने के निर्देश दिए। हथगाम ब्लाक की ग्राम पंचायत पैगम्बरपुर रिकौहा के रास्तों में पांव रखने तक की जगह नहीं है। ज्ञानचंद, ननकू, रामकृपाल, इन्द्रपाल, बबलू, रामसिंह, सुमेर, पप्पू आदि ग्रामीणों ने बताया कि गाँव के रास्तों-गलियों पर हमेशा नालियों का गंदा पानी भरा रहता है। गांव के लोग गंदगी भरे कीचड़ से होकर गुजरना पड़ता है। खासतौर पर बुजुर्गों, महिलाओं एवं बच्चों को खासी दिक्क्त उठानी पड़ रही है। अक्सर लोग कीचड़ में गिरकर हंसी का पात्र बनते हैं। कपड़े खराब होते हैं, चोट लगती है वह अलग। ग्रामीणों की माने तो करीब सात से साल से तैनात सफाई कर्मी राजकुमार की लापरवाही की वजह से गांव नारकीय हालत में है। सफाई कर्मी स्कूल व चुनिंदा स्थानों पर झाड़ू लगाकर ड्युटी पूरी कर लेता है। साध्वी ने दिए निर्देश, समस्या का हो समाधान गंदगी से मच्छर का प्रकोप, संक्रामक बीमारियों की आशंका से परेशान लोगों ने केंद्रीय राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति से गांव की दुदर्शा का हाल बयां किया तो उन्होंने बीडीओ एसएन सिंह समेत कई भाजपा कार्यकर्ताओं को भेज हकीकत पता कराई। गांव को साफ सुथरा बनाने को बीडीओ को सख्त निर्देश दिए हैं।

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उत्तरप्रदेश राज्य के फतेपुर जिला से रविकरण सिंह मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताते हैं कि उनके गवां के पास का सड़क काफी जर्जर है प्रसाशन इस पर ध्यान नहीं दे रही हैं

लड़कियों के सपने सच में पुरे हो , इसके लिए हमें बहुत सारे समाजिक बदलाव करने की ज़रूरत है। और सबसे ज्यादा जो बदलाव की ज़रूरत है, वो है खुद की सोच को बदलने की। शिक्षा महिलाओं की स्थिति में बड़ा परिवर्तन ला सकती है लेकिन शिक्षा को लैंगिक रूप से संवेदनशील होने की जरूरत है। गरीब और वंचित समूह के बच्चों को जीवन में शिक्षा में पहले ही सीमित अवसर मिलते हैं उनमें से लड़कियों के लिए और भी कम अवसर मिलते हैं, समान अवसर तो दूर की बात है। सरकारी स्तर पर जितने ही प्रयास किये जा रहे हों, यदि हम समाज के लोग इसके लिए मुखर नहीं होंगे , तब तक ऐसी भयावह रिपोर्टों के आने का सिलसिला जारी रहेगा और सही शौचालय न होने के कारण छात्राओं को मजबूरी में स्कूल छोड़ने का दर्द सताता रहेगा। तब तक आप हमें बताएं कि *----- आपके गांव में सरकारी स्कूल में शौचालय है, और क्या उसकी स्थिति कैसी है? *----- क्या आपको भी लगता है कि सरकारी स्कूल में शौचालय नहीं होने से लड़कियों की शिक्षा से बाहर होने का बड़ा कारण है *----- शौचालय होने और ना होने से लड़कियों की शिक्षा किस प्रकार प्रभावित हो सकती है?