महिलाओं की लगातार बढ़ती हिस्सेदारी और उसके सहारे में परिवारों के आर्थिक हालात सुधारने की तमाम कहानियां हैं जो अलग-अलग संस्थानों में लिखी गई हैं, अब समय की मांग है कि महिलाओं को इस योजना से जोड़ने के लिए इसमें नए कामों को शामिल किया जाए जिससे की ज्यादातर महिलाएं इसका लाभ ले सकें। दोस्तों आपको क्या लगता है कि मनरेगा के जरिए महिलाओँ के जीवन में क्या बदलाव आए हैं। क्या आपको भी लगता है कि और अधिक महिलाओं को इस योजना से जोड़ा जाना चाहिए ?

मनरेगा में भ्रष्टाचार किसी से छुपा हुआ नहीं है, जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा दलित आदिवासी समुदाय के सरपंचों और प्रधानों को उठाना पड़ता है, क्योंकि पहले तो उन्हें गांव के दबंगो और ऊंची जाती के लोगों से लड़ना पड़ता है, किसी तरह उनसे पार पा भी जाएं तो फिर उन्हें प्रशासनिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस मसले पर आप क्या सोचते हैं? क्या मनरेगा नागरिकों की इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम हो पाएगी?

कलेक्ट्रेट में राष्ट्रीय दिव्यांग एकता मंच के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह के नेतृत्व में कार्यकर्ता एकत्रित हुए और पेंशन में आ रही समस्याएं व दिव्यांगों के पेंशन को 5000 करने की मांग के साथ प्रधानमंत्री के नाम का ज्ञापन एसडीएम को सौपा।

कलेक्ट्रेट में उत्तर प्रदेश पेंशनर्स कल्याण संस्था ने समस्याओं को लेकर संघर्ष करने का निर्णय लिया जहां पुरानी पेंशन के लिए कड़ा संघर्ष करने की बात कही तो वही मेडिकल क्लेम का भुगतान करने में लगातार हिलावली की जा रही है इसको लेकर संघर्ष करने की बात हुई इस दौरान बड़ी संख्या में लोगों उपस्थित थे।

सरकार का दावा है कि वह 80 करोड़ लोगों को फ्री राशन दे रही है, और उसको अगले पांच साल तक दिये जाने की घोषणा की है। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में यह भी दावा किया कि उनकी सरकार की नीतियों के कारण देश के आम लोगों की औसत आय में करीब 50 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। इस दौरान वित्त मंत्री यह बताना भूल गईं की इस दौरान आम जरूरत की वस्तुओं की कीमतों में कितनी बढ़ोत्तरी हुई है।

देवरिया।अलग पूर्वांचल राज्य का निर्माण करने व पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर शनिवार को देवरिया के देवरही मंदिर से कुशीनगर के पथिक निवास रेस्टोरेंट तक निकली पूर्वांचल मुक्ति वाहिनी की पदयात्रा सफल रही। इस दौरान मांगों को पूरा करने को लेकर अपनी आवाज को बुलंद भी किया गया। पूर्वांचल मुक्ति वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष इंद्रेश सिंह अमेठिया ने कहा कि अलग पूर्वांचल राज्य निर्माण ही हमारा एक मात्र मिशन और मुद्दा है। इस आंदोलन को मजबूती देने के लिए मैं लगातार संघर्षरत हूं। यह लड़ाई कुर्सी व सत्ता के लिए नहीं है।सारे नेता पूर्वांचल को के मुद्दे को सत्ता की सीढ़ी बनाकर राज भोग रहे है और पूर्वांचल राज्य निर्माण की जब बात आती हैं तो उनके मुंह में दही जम जाता हैं और मौनी बाबा बन जाते है।मेरा पूर्वांचल की करोड़ों की जनता को इस मिशन से जोड़ने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल की दुर्दशा, गरीबी, बेकारी, अति पिछड़ेपन व नौजवानों का पलायन होना सारे राजनीतिक दलों का प्रयास है। इसके लिए सरकारों की गलत नीतियां और राजनेताओं की इच्छाशक्ति भी जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल के 28 जनपदों की जनता की दर्द को किसी भी दल के नेता ने समझने की कोशिश नहीं की है। जिसके कारण पूर्वांचल के शिक्षित नौजवानों को दूसरे प्रदेशों में जाकर परेशानी सहकर नौकरी करनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल की दशा व दिशा बदलने के लिए मैं दृढ़ संकल्पित हूं। मै अपने आखिरी सांस तक इसके लिए आवाज बुलंद करता रहूंगा।उन्होंने मांग उठाते हुए यह भी कहां की पुरानी पेंशन बहाली भी जनहित का मुद्दा हैं जिसके लिए मेरा संघर्ष जारी रहेगा।यह एक जनपद से दूसरे जनपद की पूरी यात्रा लगभग 32 किमी के आसपास की रही।जिस यात्रा में प्रदीप गोस्वामी,सोनू सौनी,विक्रम खरवार,राकेश सिंह,कौशल वर्मा,प्रवीण कुमार यादव,दिनेश मल्ल,हरिशंकर सिंह सहित दर्जनों लोग शामिल रहे।

भाटपार रानी,देवरिया: पूर्वांचल मुक्ति वाहिनी द्वारा पूर्वी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाए जाने की मांग को लेकर चलाए जा रहे आंदोलन के क्रम में छः जनवरी को देवरिया के देवरही मंदिर से पदयात्रा निकाली जायेगी। यह पदयात्रा दिन के 10.00 बजे प्रारंभ होकर कुशीनगर के पथिक निवास रेस्टोरेंट तक जाकर एक सभा में तब्दील होगी। पूर्वांचल मुक्ति वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष इंद्रेश सिंह अमेठिया ने कहां कि अंग्रेजी हुकूमत की नीयत बड़े-बड़े राज्यों को बनाकर सत्ता का केंद्रीकरण करना था। इसी क्रम में उन्होंने आगरा और अवध दो अलग प्रांतों को जोड़कर यूनाइटेड प्रोविंसेस (यूपी) बनाया था, लेकिन आजादी के बाद से देश में विकेंद्रीकरण के सिद्धांत के तहत न्यायिक, शासनिक, प्रशासनिक व्यवस्था एवं सत्ता तक आम आदमी की पहुंच बढ़ाकर संविधान को पूर्णतया लागू कराने के उद्देश्य से देश में छोटे राज्यों का निर्माण हुआ लेकिन पूर्वी उत्तर प्रदेश को पिछड़ा बनाए रखकर लेबर सप्लाई का केंद्र बनाने की साजिश के तहत उत्तर प्रदेश का बंटवारा नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि आज 24 करोड़ की भारी-भरकम आबादी के साथ प्रदेश के तमाम क्षेत्रों से हाईकोर्ट, लोक सेवा आयोग आदि शासनिक, प्रशासनिक मुख्यालय से दूरी से बढी दुश्वारियों से जनता त्रस्त है । उन्होंने कहा कि पूर्वांचल मुक्ति वाहिनी पूर्वी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य का दर्जा दिलाए जाने का आंदोलन पिछले 8 वर्षो से कर रही है। वर्ष 2011 में तत्कालिक मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश द्वारा उत्तर प्रदेश को चार भागों में विभाजित कर चार नए राज्य बनाने का प्रस्ताव विधानसभा से पारित किया गया। इसके बावजूद भी उत्तर प्रदेश में नए राज्यों का निर्माण नहीं किया गया जोकि पूर्वी उत्तर प्रदेश के आठ करोड़ जनमानस के साथ-साथ लोकतंत्र की व्यवस्था का अपमान है। उन्होंने बताया कि आज उत्तर प्रदेश की आबादी 24 करोड़ है। एक हाईकोर्ट, एक मुख्यमंत्री, एक लोक सेवा आयोग के भरोसे इतनी बड़ी आबादी का समुचित विकास नहीं किया जा सकता। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश में शासनिक, प्रशासनिक और न्यायिक व्यवस्था लगातार बोझिल होती जा रही है और विकास के तमाम दावों के बावजूद यहां की जनता गंभीर बीमारियों के इलाज, बेहतर शिक्षा और रोजी रोटी के तलाश में अन्य प्रदेशों में जाकर धक्के खाने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि यह समय की अति महत्वपूर्ण मांग है कि उत्तर प्रदेश में नए राज्यों का निर्माण हो और पुरानी पेंशन बहाली की मांगों पर जल्द फैसला किया जाए। इस पदयात्रा में पूर्वांचल मुक्ति वाहिनी के नेता व कार्यकर्ताओं के साथ आम लोग भी शामिल रहेंगे।

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उत्तरप्रदेश राज्य के देओरिया जिले के राहुल ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया की मनरेगा में अनियमितता में सचिवों से होगी रिकवरी

देवरिया: लार विकास खण्ड के ग्राम पंचायत बभनौली के खारीडीह गांव में मनरेगा योजना के तहत शुरू हुए काम को लेकर मनरेगा मजदूरों के चेहरे पर एक बार फिर मुस्कान लौटने का काम किया है। इस योजना के तहत सभी मनरेगा श्रमिकों को रोजगार दिया गया है। जिसमे मनरेगा श्रमिक खारीड़ीह गांव की कच्ची सड़क के निर्माण कार्य में जुटे हुए है।रोजगार सेवक अवधेश कुशवाहा व ग्राम प्रधान सतीश वर्मा ने बताया की अब पुनः मनरेगा श्रमिकों को 90 दिनों का काम मिलना शुरू हो जायेगा।जिससे जहां मनरेगा श्रमिकों के साथ साथ बाल बच्चों का भी भरण पोषण होगा तो वही मनरेगा योजना के तहत जरूरतमंदों को रोजगार के अवसर प्राप्त होगे और ग्रामीण विकास को नई गति मिलेगी।