हमारी सूखती नदियां, घटता जल स्तर, खत्म होते जंगल और इसी वजह से बदलता मौसम शायद ही कभी चुनाव का मुद्दा बनता है। शायद ही हमारे नागरिकों को इससे फर्क पड़ता है। सोच कर देखिए कि अगर आपके गांव, कस्बे या शहर के नक्शे में से वहां बहने वाली नदी, तालाब, पेड़ हटा दिये जाएं तो वहां क्या बचेगा। क्या वह मरुस्थल नहीं हो जाएगा... जहां जीवन नहीं होता। अगर ऐसा है तो क्यों नहीं नागरिक कभी नदियों-जंगलों को बचाने की कवायद को चुनावी मुद्दा नहीं बनाते। ऐसे मुद्दे राजनीति का मुद्दा नहीं बनते क्योंकि हम नागरिक इनके प्रति गंभीर नहीं हैं, जी हां, यह नागरिकों का ही धर्म है क्योंकि हमारे इसी समाज से निकले नेता हमारी बात करते हैं।

सुप्रभात , मैं बंदिता श्रीवास्तव हूँ , दैनिक मोबाइल वाणी से बात कर रही हूँ । आज मैं आपसे चर्चा करूँगा कि पानी को कैसे बचाया जाए । पृथ्वी का सात प्रतिशत क्षेत्र पानी से ढका हुआ है , लेकिन इसका केवल तीन प्रतिशत है । यह पानी साफ है और मानव उपयोग के लिए उपयुक्त है । पर्याप्त वर्षा वाले क्षेत्र में होने के बावजूद , पानी को पंप करने और फिर से पंप करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है । सौभाग्य से , प्रमाणित जर्मफोप से लेकर खाद्य खाद शौचालय स्तर के संरक्षण तक सभी के लिए जल संरक्षण के उपाय हैं । सदस्य का परिवार प्रतिदिन चार सौ पचास लीटर और एक सौ बीस गैलन पानी का उपयोग करता है । घर के काम जैसे मुंडन , सांप बनाना , नहाने के बर्तन बनाना और हाथ धोना नल बंद करके नहीं किया जाना चाहिए । ऐसा करते समय साबुन लगाते समय नल को बंद रखें और साबुन को हटाने के लिए जब तक आवश्यक हो तब तक नल को खुला रखें । वाल्व लें और इसे फव्वारे के नल के पीछे लगा दें । गर्म पानी के भरने की प्रतीक्षा करते समय नल और फव्वारे के ठंडे पानी को बर्बाद न होने दें । इसे संयंत्र में रखने के लिए फ्लश टैंक में भरें और इसे फ्लश करें , क्योंकि गर्म पानी की टंकी में ठंडे पानी की टंकी की तुलना में अधिक गाद और जंग होगी । इसके बावजूद , पानी पीने योग्य है ; यदि आप पानी के फिल्टर का उपयोग करते हैं , तो आप फ़िल्टर किए गए पानी को बोतल में डाल सकते हैं और ठंडा पानी पीने के लिए फ्रिज में रख सकते हैं ।

नगर पंचायत पथरदेवा में स्वच्छता की ली गई शपथ

अधिकारियों ने जाना उसरा में प्रदूषण का हाल

मिनी इंडस्ट्रियल स्टेट के कारखाने का अपशिष्ट प्रदूषित कर रहा रुद्रपुर का आबोहवा

धुए से फैल रहा प्रदूषण

दीपावली दियों से या धमाकों से? अबकि दीवाली पर हमें यह सोचना ही होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे शहरों की हवा हमारे इस उत्साह को शायद और नहीं झेल पा रही है। हवा इतनी खराब है कि सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है। भारत की राजधानी दिल्ली इस मामले में कुछ ज्यादा बदनाम है। दुनिया के सबसे अधिक प्रदूषित जगहों में शामिल दिल्ली में प्रदूषण इतना अधिक है कि लोगों का रहना भी यहां दूभर हो रहा है।

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