उत्तरप्रदेश राज्य के देवरिया जनपद के खुखुन्दू थाना क्षेत्र के अंतर्गत बहादुरपुर गांव के समीप सागौन के बगीचे में लावारिस अवस्था में नवजात बच्ची मिली सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंची स्थानीय थाने की पुलिस बच्ची को चाइल्ड केयर भेजवाने का किया जा रहा है प्रयास
भाटपारानी विकास खंड के महना गांव में मुख्य सड़क से जोड़ने वाली सड़क की थोड़ी दूरी के बाद , खरांजा सड़क शुरू होती है और उसी खरांजा सड़क के बगल में पाइपलाइन भी बिछाई जा रही है , लेकिन वर्तमान में नाली भी सड़क पर ही बहती है । गड्ढों वाली सड़क के कारण गांव में जिनके घर एक - दूसरे के बगल में हैं , उनके दरवाजे तक जाने में काफी असुविधा होती है । ग्रामीणों का कहना है कि आपात स्थिति में एम्बुलेंस बुलानी पड़ी तो भी एम्बुलेंस दरवाजे तक नहीं आ पाती है , जिससे काफी असुविधा होती है ।
भाटपारानी विकास खंड की छोटा ग्राम पंचायत में , ग्रामीणों का कहना है कि नाली का निर्माण बीस साल पहले सांसद निधि से किया गया था , लेकिन नाली की सफाई अभी तक नहीं की गई है और सभी ग्रामीणों की नाली का पानी इस नाली में आना बंद हो जाता है , जिससे अब ग्रामीणों को जलभराव की समस्या हो रही है । प्रखंड विकास अधिकारी को एक आवेदन दिया गया है जिसमें अनुरोध किया गया है कि नाले की भी बेहतर सफाई की जाए , लेकिन अभी तक इस पर कोई उचित कार्रवाई नहीं की गई है , ग्रामीण बहुत निराश हैं और ग्रामीणों में गुस्सा है ।
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देवरिया। जनपद के बैतालपुर स्थित सीएचसी के प्रभारी चिकित्साधिकारी इन दिनों अपनी जीवन शैली को लेकर काफी सुर्खियों में हैं। वहीं उन्हें बारीकी से जानने वाले लोग प्रभारी चिकित्साधिकारी के करतूत को देखकर दांतों तले अंगुली दबा रहे हैं। जबकि उच्चाधिकारी आंखें मूंदे हुए हैं। शुक्रवार को मोबाइल वाणी की टीम सीएचसी बैतालपुर में चिकित्सीय कार्यों का जायजा लेने पहुंची। इस दौरान प्रभारी चिकित्साधिकारी धीरेन्द्र कुमार चौहान शराब के नशे में धुत मिले। शराब के नशे के चलते उनका शरीर असन्तुलित दिखा। अब सवाल यह पैदा होता है कि जब ब्लाक का स्वास्थ्य विभाग का सबसे बड़ा अधिकारी का यह हाल है, तो फिर व्यवस्था कैसे सुधरेगी। जब प्रभारी चिकित्साधिकारी शराब के नशे में खुद अपना सूझबूझ खो रहे हैं, तो वे अन्य डाक्टरों व कर्मचारियों की मॉनिटरिंग कैसे करेंगें, यह एक गम्भीर सवाल है। इस बाबत पूछे जाने पर मुख्य चिकित्साशिकारी डॉ. राजेश झा ने कहा कि यह एक गम्भीर मामला है। शीघ्र ही जांचकर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
जिले में इन दिनों किसानों ने प्याज की बुवाई का काम शुरू कर दिया है। लेकिन इस बार किसान प्याज की खेती में कम ही रुचि ले रहे हैं। पिछले साल प्याज का क्षेत्रफल ज्यादा होने से उत्पादन भी अच्छा हुआ था। लेकिन केंद्र सरकार ने प्याज पर 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगा दिया था। जिससे किसानों को नुकसान हुआ और उन्हें अपनी फसल को कम दामों में बेचना पड़ा था। हालांकि निर्यात शुल्क हटने के बाद प्याज के दाम आसमान छू रहे हैं।
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