भाटपार रानी,देवरिया: पूर्वांचल मुक्ति वाहिनी द्वारा पूर्वी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाए जाने की मांग को लेकर चलाए जा रहे आंदोलन के क्रम में छः जनवरी को देवरिया के देवरही मंदिर से पदयात्रा निकाली जायेगी। यह पदयात्रा दिन के 10.00 बजे प्रारंभ होकर कुशीनगर के पथिक निवास रेस्टोरेंट तक जाकर एक सभा में तब्दील होगी। पूर्वांचल मुक्ति वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष इंद्रेश सिंह अमेठिया ने कहां कि अंग्रेजी हुकूमत की नीयत बड़े-बड़े राज्यों को बनाकर सत्ता का केंद्रीकरण करना था। इसी क्रम में उन्होंने आगरा और अवध दो अलग प्रांतों को जोड़कर यूनाइटेड प्रोविंसेस (यूपी) बनाया था, लेकिन आजादी के बाद से देश में विकेंद्रीकरण के सिद्धांत के तहत न्यायिक, शासनिक, प्रशासनिक व्यवस्था एवं सत्ता तक आम आदमी की पहुंच बढ़ाकर संविधान को पूर्णतया लागू कराने के उद्देश्य से देश में छोटे राज्यों का निर्माण हुआ लेकिन पूर्वी उत्तर प्रदेश को पिछड़ा बनाए रखकर लेबर सप्लाई का केंद्र बनाने की साजिश के तहत उत्तर प्रदेश का बंटवारा नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि आज 24 करोड़ की भारी-भरकम आबादी के साथ प्रदेश के तमाम क्षेत्रों से हाईकोर्ट, लोक सेवा आयोग आदि शासनिक, प्रशासनिक मुख्यालय से दूरी से बढी दुश्वारियों से जनता त्रस्त है । उन्होंने कहा कि पूर्वांचल मुक्ति वाहिनी पूर्वी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य का दर्जा दिलाए जाने का आंदोलन पिछले 8 वर्षो से कर रही है। वर्ष 2011 में तत्कालिक मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश द्वारा उत्तर प्रदेश को चार भागों में विभाजित कर चार नए राज्य बनाने का प्रस्ताव विधानसभा से पारित किया गया। इसके बावजूद भी उत्तर प्रदेश में नए राज्यों का निर्माण नहीं किया गया जोकि पूर्वी उत्तर प्रदेश के आठ करोड़ जनमानस के साथ-साथ लोकतंत्र की व्यवस्था का अपमान है। उन्होंने बताया कि आज उत्तर प्रदेश की आबादी 24 करोड़ है। एक हाईकोर्ट, एक मुख्यमंत्री, एक लोक सेवा आयोग के भरोसे इतनी बड़ी आबादी का समुचित विकास नहीं किया जा सकता। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश में शासनिक, प्रशासनिक और न्यायिक व्यवस्था लगातार बोझिल होती जा रही है और विकास के तमाम दावों के बावजूद यहां की जनता गंभीर बीमारियों के इलाज, बेहतर शिक्षा और रोजी रोटी के तलाश में अन्य प्रदेशों में जाकर धक्के खाने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि यह समय की अति महत्वपूर्ण मांग है कि उत्तर प्रदेश में नए राज्यों का निर्माण हो और पुरानी पेंशन बहाली की मांगों पर जल्द फैसला किया जाए। इस पदयात्रा में पूर्वांचल मुक्ति वाहिनी के नेता व कार्यकर्ताओं के साथ आम लोग भी शामिल रहेंगे।