इस कार्यक्रम में हम जानेंगे जल संरक्षण और ऊर्जा बचत से जुड़ी सरकारी योजनाओं के बारे में। साथ ही, यह कार्यक्रम बताएगा कि आप इन योजनाओं का लाभ कैसे उठा सकते हैं और अपने गाँव के विकास में कैसे योगदान दे सकते हैं। स्वच्छ पानी और सतत ऊर्जा के महत्व को समझते हुए, हम एक बेहतर कल की ओर कदम बढ़ाएंगे। क्या जल सरंक्षण की योजनाओं के बारे में आपने भी सुना है, क्या आप इन योजनाओं का लाभ आपने भी उठाया है, क्या आपके गाँव में जल सरंक्षण की कोई प्रेरणादायी कहानी है ?

यह एपिसोड बताता है कि हम अपने रोज़मर्रा के जीवन में कैसे छोटे-छोटे बदलाव करके बिजली और पानी बचा सकते हैं। इससे न सिर्फ हमारा खर्च कम होगा, बल्कि हम अपनी धरती की भी रक्षा कर पाएंगे। आसान तरीकों से हम सभी मिलकर पर्यावरण को बचाने में मदद कर सकते हैं।क्या आपने भी अपनी ज़िन्दगी में कुछ ऐसे बदलाव किए हैं? अगर हाँ, तो हमें बताइए।

इस एपिसोड के मुख्य विषय, वर्षा जल संग्रहण, को दर्शाता है। "बूंद-बूंद से सागर" मुहावरा छोटे प्रयासों से बड़े परिणाम प्राप्त करने की भावना को व्यक्त करता है। यह श्रोताओं को प्रेरित करता है कि वर्षा की हर बूंद महत्वपूर्ण है और उसका संग्रहण करके हम बड़े बदलाव ला सकते हैं। क्या आप वर्षा जल को इक्कट्ठा करने और सिंचाई से जुडी किसी रणनीति को अपनाना चाहेंगे? और क्या आपके समुदाय में भी ऐसी कहानियाँ हैं जहाँ लोगों ने इन उपायों का इस्तेमाल करके चुनौतियों का सामना किया है?

यह एपिसोड बदलते मौसम और असामान्य बारिश के कारण कृषि क्षेत्र पर पड़ने वाले विभिन्न प्रभावों की व्यापक चर्चा करता है। फसल उत्पादन, मिट्टी की गुणवत्ता, पानी प्रबंधन और किसानों की आजीविका पर पड़ने वाले असर का विस्तृत विवरण दिया गया है। साथ ही, इन चुनौतियों से निपटने के लिए किसानों द्वारा अपनाए जा रहे समाधानों और सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला गया है।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बलिआ से मनु कुमार प्रजापति , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि पर्यावरण जागरूकता के लिए प्रयास फाउंडेशन द्वारा पद यात्रा निकाली जाएगी । 8 अगस्त को प्रयास फाउंडेशन संस्था के अश्विनी कुमार वर्मा के नेतृत्व में सिकंदरपुर चौराहे से लेकर जनपद के विभिन्न हिस्सों में पद यात्रा निकालेगी। प्रयास फाउंडेशन के छात्र नेता अश्विनी कुमार का कहना है की जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरण में लगातार बदलाव से जन जीवन की खेती पर इसका अनुकूलन प्रभाव पड़ रहा है। वह बढ़ते तापमान और भारी गर्मी को लेकर बहुत परेशान है।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बलिआ से मनु कुमार प्रजापति , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि हैंडपंप के पानी ने जवाब दे दिया है, जो बचे है वह भी मसक्कत के बाद पानी दे रहे हैं, जबकि पानी और नमी की कमी से खेत फटने लगे हैं। मुख्य फसल धान के मुरझाने से किसान के चेहरे पर निराशा छा गई है। यह सोचने के अलावा कोई विकल्प नहीं है कि बारिश के संकेत दिखाई नहीं दे रहे हैं जो हमें पानी के लिए प्रसिद्ध क्षेत्रों में जाने के लिए मजबूर कर रहे हैं, इतना ही नहीं, बारिश के अभाव में, कई गाँवों में धान की नर्सरी खेतों में मर रही हैं, बिजली कटौती और कम वोल्टेज वाले निजी नल इन कठिन समय में सिर्फ देखने योग्य रह गए है । नर्सरी और प्रत्यारोपित खेतों में दरारें दिखाई दे रही हैं। इस क्षेत्र के चरखाना गाँवों सहित विभिन्न क्षेत्रों में प्रमुख धान की खेती की जा रही है। इन गाँवों में धान की नर्सरी स्थापित हैं। यह तैयार है, लेकिन पानी के मौसम के अनुकूल नहीं होने के कारण धान प्रत्यारोपण में तेजी नहीं आ पा रही है। जिन निजी संसाधनों में धान बोया जाता है, वे सिंचाई की कमी से पीड़ित हैं।

यह कार्यक्रम मौसम में आ रहे बदलावों और उनसे हमारी रोजमर्रा की जिंदगी पर पड़ने वाले प्रभावों पर केंद्रित है। इसमें बारिश के अनिश्चित पैटर्न से उत्पन्न चुनौतियों और उनके संभावित समाधानों पर चर्चा की गई। कार्यक्रम में यह भी बताया जाएगा कि कैसे ये बदलाव किसानों से लेकर शहरी नागरिकों तक, सभी के जीवन को प्रभावित कर रहे हैं। आपने और आपके आसपास के लोगों ने बदलते बारिश के पैटर्न के बारे में क्या अनुभव किया है? क्या आपको या आपके जानने वालों को इससे कोई चुनौती झेलनी पड़ी है?

इस एपिसोड में जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों को एक किसान परिवार की कहानी के माध्यम से दिखाया गया है। बदलते मौसम पैटर्न, अनियमित वर्षा, और कृषि पर पड़ने वाले प्रभावों पर चर्चा की गई है। साथ ही, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए समुदाय-स्तर पर कार्रवाई करने का आह्वान किया गया है।

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इस कार्यक्रम में एक परिवार बात कर रहा है कि कैसे बढ़ती गर्मी से बचा जाए। वे चर्चा करते हैं कि शहरों में ज्यादा पेड़-पौधे लगाने चाहिए, पानी बचाना चाहिए, और लोगों को इन बातों के बारे में बताना चाहिए। और सभी को मिलकर अपने आसपास की जगह को ठंडा और हरा-भरा बनाकर रखना चहिये