उत्तेर प्रदेश राज्य के आजमगढ़ जिले की अनिष्का ने मोबाइल वाणी के माध्यम से एक कविता सुनाया है जिसकी पंक्तिया है पीपल के नीचे बैठे मूल बेटे के नाम की कविता अचानक गायब हो जाती है या मुझे प्यास लगती है । रात के घने समय में अपने नीले अक्षरों को टूटने या एक मंजिला स्तंभ को अपने से गिरने न दें अन्यथा आप एक सूखी भूमि के बीच में अंतहीन रूप से खड़े रहें । असहाय हरिक को क्रूर पंजों में मरते हुए या फिसलन भरी समतल भूमि पर पड़े के कंकाल में या कहीं दूर क्षितिज के आगे एक जीर्ण - शीर्ण नाव के दृश्य को देखा जा सकता था । तग्गर हो ऐसा कविता मैं सपना देखता हूँ और वह सपना दिल दहला देने वाला है अचानक नींद से जागो और मुझे अपने पास न पाओ