सुने हिंदी मुक्तक कविता ,कल्पना की कली दिल में खिलने लगी भावनाओं की आंधी में हिलने लगी रूप दीपनों का दस मिला रूपसे एक कविता से मिलने लगी जिंदगी नया का एक इशारा लगा जैसे मुझको किसी का पुकारा लगा किनारा मिला मैं अकेले स चला था सफर में मगर तुम मिले तो मुझे एक सहारा लगा