मनरेगा में भ्रष्टाचार किसी से छुपा हुआ नहीं है, जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा दलित आदिवासी समुदाय के सरपंचों और प्रधानों को उठाना पड़ता है, क्योंकि पहले तो उन्हें गांव के दबंगो और ऊंची जाती के लोगों से लड़ना पड़ता है, किसी तरह उनसे पार पा भी जाएं तो फिर उन्हें प्रशासनिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस मसले पर आप क्या सोचते हैं? क्या मनरेगा नागरिकों की इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम हो पाएगी?

सहायक श्रमायुक्त सतना शैलेंद्र मोहन पटेरिया ने बताया कि सतना जिले के 15 मजदूर तेलंगाना राज्य के खंम्मम जिला अंतर्गत तल्लाड़ा कस्बे में मिर्ची तोड़ने का कार्य करने के लिये गये थे। इन मजदूरों को चित्रकूट के एक व्यक्ति द्वारा ले जाया गया था और वहां से वह व्यक्ति पैसे लेकर मजदूरों को उनके हाल पर छोड़ आया था। मजदूरों के खाने-पीने की सामग्री भी उपलब्ध नहीं कराई गई थी और जबरन मिर्ची तोड़ने का काम भी कराया जा रहा था। उन्होने बताया कि 2 फरवरी को सोशल मीडिया के माध्यम से इन 15 मजूदरों के फंसे होने की जानकारी प्राप्त हुई। जिस पर संज्ञान लेते हुये कलेक्टर अनुराग वर्मा द्वारा श्रम विभाग को कार्यवाही करने के लिये निर्देशित किया गया। श्रम विभाग द्वारा तत्काल कार्यवाही करते हुये फंसे हुये सभी मजूदरों की जानकारी एकत्रित की गई और श्रम विभाग के अधिकारियों द्वारा थाना तल्लाड़ा (तेलंगाना) के स्थानीय पुलिस से संपर्क स्थापित कर मजदूरों की स्थिति से अवगत कराया गया। तत्पश्चात 2 फरवरी को ही फंसे हुये मजदूरों को खाने-पीने की व्यवस्था उपलब्ध कराई गई। श्रम विभाग सतना और तेलंगाना पुलिस की सहायता से सभी मजूदर 4 फरवरी को ट्रेन के माध्यम से सतना के लिये रवाना हो चुके हैं। मजदूरों की सकुशल वापसी में श्रम विभाग के निरीक्षक हेमंत डेनियल, नरेश पटेल, अनुराग प्रताप सिंह, मनोज कुमार यादव, पुष्पेंद्र धुर्वे की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

मेरा गांव मेरी पहचान कार्यक्रम के तहत आज हमसे खास बातचीत करने व अपनी राय देने के लिए जुड़े ग्राम खूटाम्बा के निवासी सौरभ यादव जी।

ग्रामवाणी की इंटरव्यू सीरीज "क्या हाल विधायक जी में विधानसभा क्षेत्र बैतूल जिले की भैंसदेही से विधायक धरमू सिंह सिसराम से बृजेश शर्मा की बातचीत .