मातृ-मृत्यु की समीक्षा रिपोर्ट में चौकने वाले आंकड़े ,8 माह में 32 गर्भवती महिलाओं की मौत ,, हर वर्ष खून की कमी से सेकड़ो मौते,स्वास्थ्य विभाग बेपरवाह कागजो तक सीमित है स्वास्थ्य विभाग का मिशन बजटका बराबर खर्च एंकर-मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में मातृ मृत्यु की समीक्षा रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए है जिसमे पन्ना में 8 माह में 32 गर्भवती महिलाओं की खून की कमी के कारण मौत होना,स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही की कहानी बयां कर रहा है वीओ -आपको बता दे कि ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी जागरूकता का अभाव देखा जा रहा है जहां पर आदिवासी महिलाएं खून की कमी से जूझ रही है ,मातृ-शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने अनेक अभियान और योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन सभी कागजों तक सीमित रह गई है क्योंकि जरूरतमंदों को इनका लाभ ही नहीं मिल पा रहा है। और नतीजा यह है कि इलाज के आभाव ,खून की कमी के कारण गर्भवती महिलाये दम तोड़ रही हैं। वीओ - आपको बता दे कि स्वास्थ्य विभाग का स्वास्थ्य मिशन अब पूरी तरह से कमजोर पड़ गया क्योंकि जिले में स्वास्थ्य विभाग का बजट जरूरतमंदों तक नहीं पहुच पा रहा है जिलेभर में एक हजार से अधिक गर्भवती खून की कमी से जूझ रही हैं। मातृ-मृत्यु की समीक्षा में एक और बड़ा खुलासा यह हुआ कि आधा दर्जन गर्भवती की मौत की वजह गंभीर खून की कमी रही। जो कि गर्भावस्था के दौरान रक्तस्राव ज्यादा होने से खून की कमी से जूझती रही,, वीओ -आपको बता दे कि स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में डिलेवरी होने के बाद 42 दिन के अंदर 27 प्रसूताओं ने दम तोड़ दिया। चिकित्सकों के मुताबिक गर्भावस्था के दौरान हीं बेहतर खानपान और देखभाल के अभाव में हीमोग्लोबिन की कमी आ गई। प्रसव के बाद अत्यधिक रक्तस्त्राव होने से हालत नाजुक हुई और मौत हो गई, बाइट-वी एस उपाध्यय(जिला चिकित्सा अधिकारी पन्ना) वीओ - खून की कमी अधिकतर ग्रामीण क्षेत्र की आदिवासी महिलाओं के साथ यह कंडीशन आती है जिसका मुख्य कारण खान-पान और प्रॉपर मेडिसिन ना लेना के कारण ,,एनीमिया हो जाता है ,अब प्रॉपर मौत के आंकड़े कम करने के प्रयास किये जा रहे है ,,