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बेनगंज कोतवाली बेनीगंज क्षेत्र के अटरा गांव निवासी रामविलास पुत्र स्वर्गीय बादल ने बुधवार को कोतवाली में तहरीर दी है। बताया है नौ नवंबर को रात 8:30 बजे मेरा लड़का बबलू उम्र करीब 33 वर्ष अपनें दरवाजे के बाहर खड़ा था। तभी एक आवारा कुत्ता गलियारे की तरफ से भागते हुए आया लड़के बबलू के दाहिने हाथ की दो उंगलियों में काट लिया। उसके बाद मैंने उपचार हेतु लड़के को सी.एच.सी. अहिरोरी पर ले जाकर कुत्ते काटने वाला पहला इंजेक्शन 10 नवंबर को दूसरा 14 व तीसरा 18 नवम्बर को लगवाया। उसके बाद दिनाँक 5 दिसम्बर को रात करीब 2 बजे लड़का बबलू कुत्ता भौंकने जैसी आवाज में जोर - जोर से चिलानें लगा। तभी रात में जिला अस्पताल हरदोई को ले गया जहां चिकित्सकों ने लखनऊ मेडिकल कॉलेज के लिए रिफर कर दिया। जहां मेडिकल कॉलेज उपचार होने के कुछ समय बाद चिकित्सकों ने जवाब दे दिया। लड़के को वापस घर ले आया। 5 दिसंबर रात के समय लगभग 10:30 बजे लड़के का देहांत हो गया। मृतक बबलू के चार बच्चे हैं। दो भाइयों में बबलू बड़ा है। घर का पूरा कार्यभार बबलू की देखरेख में होता था। पिता ने शासन प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है। उपरोक्त मामले पर कोतवाली प्रभारी उमाकांत दीपक ने बताया तहरीर प्राप्त हो गई है पंचनामा भरकर जिला विच्छेदन गृह भेज दिया गया है।

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शाहाबाद,हरदोई। पूर्ति कार्यालय में ही गरीबों को दिए जाने वाले राशन में डाका डालने की कार्रवाई अमल में लाई जाती है। यहां पूर्ति निरीक्षक के अलावा कई प्राइवेट कर्मी बैठते है, जो है तो प्राइवेट,लेकिन साहब की मेहरबानी के चलते सारे नियम कायदे दरकिनार कर सभी सरकारी कार्य व कोटेदारों को निर्देश देते हैं। बताया जा रहा है कि नगलालोथू निवासी रोहित यादव के हाँथ में कई बर्षों से पूर्ति कार्यालय की कमान है भले ही अधिकारी कोई भी आए या जाए। विभाग की सारी डीलिंग यही करते हैं। अब चूंकि शासन/प्रशासन से इसका कोई वास्ता तो है नहीं, ऐसे में बजट कहां से जारी हो इसके लिए कोटेदारों से बकायदा महिनवारी वसूल की जाती है,फिर इनको व अन्य प्राइवेट कर्मियों को तनख्वाह मिलती है। पूर्ति कार्यालय राशन कार्ड बनाने से लेकर गरीबों को मुफ्त राशन देने का मुख्य काम करता है। विभाग में अगर आपको कोई काम है, तो फिर चाहे वो राशन से संबंधित हो या राशन कार्ड से संबंधित, किसी की शिकायत हो या फिर कोई लेन देन का मसला तो आपको पूर्ति निरीक्षक से नहीं बल्कि प्राइवेट कर्मियों से बात करनी होगी। क्योंकि साहब की पूरी डीलिंग यही करते हैं। इतना ही नहीं आफिशियल मेल से लेकर जवाबदेही तक का सारा ताना बाना। यही प्राइवेट कर्मचारी करते हैं। अब इसमें कोई गोपनीय कागज हो या विभाग की कोई जानकारी बाहर जाना, इससे साहब का कोई लेना देना नहीं है।

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