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कुमारगंज [अयोध्या]आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय की ओर से मिल्कीपुर के डिली गिरधर एवं सिधौना गांव में खेलकूद प्रतियोगिता आयोजित की गई। यह प्रतियोगिता दीक्षांत समारोह के उपलक्ष्य में कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डा. बिजेंद्र सिंह के दिशा- निर्देशन में आयोजित की गई। इस दौरान विजेता प्रतिभागियों को मेडल व प्रमाण पत्र भी वितरित किया गया। छात्र छात्राओं ने आयोजित इस प्रतियोगिता में कबड्डी, नीबू ओचम्मच दौड़, लंगड़ी टांग दौड़, सौ ओमीटर दौड़ तथा गुल्ली डंडा का आयोजन किया गया। जिसमें छात्र- छात्राओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। खेलकूद के सहायक प्राध्यापक डा. देवनारायण पटेल ने पारदर्शिता के साथ प्रतियोगिता को आयोजित कराया।

ग्रामीण क्षेत्र के गरीबों के बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं मिल पा रही है जिसका मुख्य कारण है सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों की कमी होना, अध्यापकों को सही तरीके से बच्चों को ना पढ़ाना, इन सब कारणों की वजह से गरीबों के बच्चे अच्छे शिक्षा व तालीम नहीं पा रहे हैं अमीरों के बच्चे प्राइवेट विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण करते हैं अगर सरकारी विद्यालय में इतनी ही शिक्षा व्यवस्था अच्छी होती तो सरकारी विद्यालय के अध्यापक अपने बच्चों को प्राइवेट विद्यालय में क्यों पढ़ाते है यह एक बहुत बड़ा सवाल है सरकार को भी इस पर मंथन करना चाहिए।

ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी शिक्षकों की बड़ी कमी है ऐसे में बच्चों का भविष्य उज्जवल दिखाई नहीं दे रहा है मैं आम जनमानस से अपील करना चाहता हूं की सभी लोग अपने बच्चों के भविष्य को देखते हुए सरकार तक यह आवाज उठाना चाहिए की सभी सरकारी विद्यालयों में अध्यापकों की नियुक्ति हो ताकि बच्चों का भविष्य उज्जवल हो सके और हमारे भी बच्चे पढ़ कर कुछ बन सके

मिल्कीपुर शिक्षा क्षेत्र स्थित कई परिषदीय विद्यालयों में तैनात शिक्षकों की मनमानी एवं विद्यालय न आने का मामला प्रकाश में आया है। बीएसए एवं खंड शिक्षा अधिकारी सहित विद्यालय से गायब रहने वाले शिक्षकों के खिलाफ शिकायत करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता ने किसी अन्य विभाग के शीर्ष अधिकारी से मामले की जांच करा कर कार्रवाई की मांग की है।

14 नवम्बर से 20 नवंबर तक कुटुकी और मोबाइलवाणी मना रहे हैं 'बाल दिवस स्पेशल'। इस अवसर पर 'बचपन मनाओ, बढ़ते जाओ' अभियान के तहत बच्चों को वर्णमाला सिखाने के लिए शुरू हुई है एक नई सीरीज। इसे आप अपने बच्चों को जरुर सुनाएं। साथ ही हमें बताएं कि आप बच्चों को वर्णमाला कैसे सिखाते हैं? कोई कविता सुनाते हैं या गाना गाकर? और अगर आप बच्चों को सिखाने के लिए ऐसी ही प्यारी-प्यारी सी कविताएं बनाते हैं तो उसे मोबाइलवाणी पर रिकॉर्ड भी करें, ताकि बाकी बच्चे भी इसे सुनें और सीखें। अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3।

यूनेस्को की 2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब 1.10 लाख ऐसे स्कूल हैं जो केवल एक ही शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। इसके अलावा देश भर में शिक्षकों के लगभग 11.16 लाख पद खाली हैं और उसमें से भी तक़रीबन 70 फीसदी पद गांव के इलाके के स्कूलों में हैं। है ना मज़ेदार बात। जो गाँव देश की आत्मा है , जिसके लिए सभी सरकारें खूब बड़ी बड़ी बातें बोलती रहती है। कभी किसान को अन्नदाता , भाग्य विधाता, तो कभी भगवान तक बना देती है। उसी किसान के बच्चों के पढ़ने के लिए वो स्कूलों में सही से शिक्षक नहीं दे पाती है। जिन स्कूलों में शिक्षक है वहाँ की शिक्षा की हालत काफी बदहाल है. माध्यमिक से ऊपर के ज्यादातर स्कूलों में संबंधित विषयों के शिक्षक नहीं हैं. नतीजतन भूगोल के शिक्षक को विज्ञान और विज्ञान के शिक्षक को गणित पढ़ाना पड़ता है. ऐसे में इन बच्चों के ज्ञान और भविष्य की कल्पना करना मुश्किल नहीं है. लोग अपनी नौकरी के लिए तो आवाज़ उठा रहे है। लेकिन आप कब अपने बच्चो की शिक्षा के लिए आवाज़ उठाएंगे और अपने जन प्रतिनिधियों से पूछेंगे कि कहाँ है हमारे बच्चो के शिक्षक? खैर, तब तक, आप हमें बताइए कि ------आपके गाँव या क्षेत्र में सरकारी स्कूलों में कितने शिक्षक और शिक्षिका पढ़ाने आते है ? ------ क्या आपने क्षेत्र या गाँव के स्कूल में हर विषय के शिक्षक पढ़ाने आते है ? अगर नहीं , तो आप अपने बच्चों की उस विषय की शिक्षा कैसे पूरी करवाते है ? ------साथ ही शिक्षा के मसले पर आपको किससे सवाल पूछने चाहिए ? और इसे कैसे बेहतर बनाया जा सकता है , ताकि हमारे देश का भविष्य आगे बढे।

इस खास दिन पर हम आपसे जानना चाहते हैं कि आपका विद्यार्थी जीवन कैसा रहा या फिर कैसा है? बतौर विद्यार्थी आप क्या क्या सीख रहे हैं और क्या क्या सीखना चाहते हैं? अपनी शिक्षा, अपनी चुनौतियों और अपने सपनों के बारे में यहां बात करें... फोन में नम्बर 3 दबाकर.

14 नवम्बर से 20 नवंबर तक कुटुकी और मोबाइलवाणी मना रहे हैं 'बाल दिवस स्पेशल'। इस अवसर पर 'बचपन मनाओ, बढ़ते जाओ' अभियान के तहत बच्चों को वर्णमाला सिखाने के लिए शुरू हुई है एक नई सीरीज। इसे आप अपने बच्चों को जरुर सुनाएं। साथ ही हमें बताएं कि आप बच्चों को वर्णमाला कैसे सिखाते हैं? कोई कविता सुनाते हैं या गाना गाकर? और अगर आप बच्चों को सिखाने के लिए ऐसी ही प्यारी-प्यारी सी कविताएं बनाते हैं तो उसे मोबाइलवाणी पर रिकॉर्ड भी करें, ताकि बाकी बच्चे भी इसे सुनें और सीखें। अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3।