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सरकार हर बार लड़कियों को शिक्षा में प्रोत्साहित करने के लिए अलग-अलग योजनाएं लाती है, लेकिन सच्चाई यही है कि इन योजनाओं से बड़ी संख्या में लड़कियां दूर रह जाती हैं। कई बार लड़कियाँ इस प्रोत्साहन से स्कूल की दहलीज़ तक तो पहुंच जाती है लेकिन पढ़ाई पूरी कर पाना उनके लिए किसी जंग से कम नहीं होती क्योंकि लड़कियों को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने और पढ़ाई करने के लिए खुद अपनी ज़िम्मेदारी लेनी पड़ती है। लड़कियों के सपनों के बीच बहुत सारी मुश्किलें है जो सामाजिक- सांस्कृतिक ,आर्थिक एवं अन्य कारकों से बहुत गहरे से जुड़ा हुआ हैं . लेकिन जब हम गाँव की लड़कियों और साथ ही, जब जातिगत विश्लेषण करेंगें तो ग्रामीण क्षेत्रों की दलित-मज़दूर परिवारों से आने वाली लड़कियों की भागीदारी न के बराबर पाएंगे। तब तक आप हमें बताइए कि * -------आपके गाँव में या समाज में लड़कियों की शिक्षा की स्थिति क्या है ? * -------क्या सच में हमारे देश की लड़कियाँ पढ़ाई के मामले में आजाद है या अभी भी आजादी लेने की होड़ बाकी है ? * -------साथ ही लड़कियाँ को आगे पढ़ाने और उन्हें बढ़ाने को लेकर हमे किस तरह के प्रयास करने की ज़रूरत है ?

दोस्तों, भारत के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा जारी एक रिपोर्ट से यह पता चला कि वर्तमान में भारत के करीब 6.57 प्रतिशत गांवों में ही वरिष्ठ माध्यमिक कक्षा 11वीं और 12वीं यानी हायर एजुकेशन के लिए स्कूल हैं। देश के केवल 11 प्रतिशत गांवों में ही 9वीं और 10वीं की पढ़ाई के लिए हाई स्कूल हैं। यदि राज्यवार देखें तो आज भी देश के करीब 10 राज्य ऐसे हैं जहां 15 प्रतिशत से अधिक गांवों में कोई स्कूल नहीं है। शिक्षा में समानता का अधिकार बताने वाले देश के आंकड़े वास्तव में कुछ और ही बयान करते हैं और जहां एक तरफ शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति समाज की प्रगति का संकेत देती है, वहीं लड़कियों की लड़कों तुलना में कम संख्या हमारे समाज पर प्रश्न चिह्न भी लगाती है? वासतव में शायद आजाद देश की नारी शिक्षा के लिए अभी भी पूरी तरह से आजाद नहीं है। तब तक आप हमें बताइए कि * ------क्या सच में हमारे देश की लड़कियाँ पढ़ाई के मामले में आजाद है या अभी भी आजादी लेने लाइन में खड़ी है ? * ------आपके हिसाब से लड़कियाँ की शिक्षा क्यों नहीं ले पा रहीं है ? लड़कियों की शिक्षा क्यों ज़रूरी है ? * ------साथ ही लड़कियाँ की शिक्षा के मसले पर आपको किससे सवाल पूछने चाहिए ? और इसे कैसे बेहतर बनाया जा सकता है ?

प्रदेश सरकार की ओर से व्यवसायिक शिक्षा, कौशल विकास एवं उद्यमशीलता विभाग की ओर से संचालित रुदौली के दुल्लामऊ अमराई गांव स्थित राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान को विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रशिक्षण के लिए उपकरण और साज-सज्जा के लिए कुल 64 लाख रूपये का बजट जारी किया है।

कुमारगंज अयोध्या। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय के प्रेक्षागृह में मत्सियकी एवं सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय के नवआगंतुक छात्र-छात्राओं के लिए स्वागत समारोह कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर विवि के कुलपति डा. बिजेंद्र सिंह व उनकी धर्मपत्नी मीना सिंह भी मौजूद रहीं। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ। महाविद्यालय की अधिष्ठाता डा. साधना सिंह ने मौजूद सभी अतिथियों का स्वागत किया। सभी छात्र-छात्राओं को बधाई एवं उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए कुलपति ने कहा कि शिक्षा की सभी सुविधाएं विश्वविद्यालय में उपलब्ध है। बच्चों को मेहनत व कड़ी लगन से पढ़ाई कर अपने भविष्य को संवारने की जरूरत है। छात्र-छात्राओं के पढ़ाई में किसी प्रकार की बाधा नहीं आएगी। सभी छात्र- छात्राओं ने अपना परिचय दिया साथ ही गायन, नृत्य, नाटक, कविता पाठ, कव्वाली आदि रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए। इसी क्रम में छात्र-छात्राओं ने रैंप वॉक भी प्रस्तुत किया।

दोस्तों , MDM या मध्याह्न भोजन योजना को दुनिया का सबसे बड़ा स्कूल फीडिंग प्रोग्राम माना जाता है। इस योजना के तहत प्राथमिक स्तर पर प्रत्येक बच्चे के लिए 450 कैलोरी और 12 ग्राम प्रोटीन और उच्च प्राथमिक स्तर पर 700 कैलोरी और 20 ग्राम प्रोटीन वाला मध्याह्न भोजन दिया जाता है। लेकिन ये तो सरकार के वेबसाइट और कार्यक्रम में सुनने में अच्छा लगता है। आज भी कई जगहों पर हकीकत कुछ और ही है। हमारे समाज में वैसे सामाजिक संस्कार पल बढ़ रहे हैं जिनका सही तरह के सवाल पूछने से कोई लेना देना नहीं हो रहा है। हमारे समाज का लोकतंत्र ऐसी बेकार की बातों से सड़ रहा है। लोगों में नागरिकता का एहसास पैदा नहीं किया जा रहा है। उन्हें नहीं बताया जा रहा है कि वह तभी ठीक ढंग से जी पायेंगे जब वह सरकार और प्रशासन से सही तरह के सवाल पूछेंगे। केवल एक दिन नहीं हर दिन पूछेंगे। तभी गंगा साफ़ हो पाएगी और स्कूलों के मिड डे मील में धाँधली नहीं होगी। तभी दूध की जगह पानी और रोटी के साथ नमक नहीं मिलेगा। आप हमें बताइए कि *--------- आपके गाँव या क्षेत्र में सरकारी स्कूलों में मध्याह्न भोजन की स्थिति क्या है ? *--------- आपने क्षेत्र या गाँव के सरकारी स्कूलों में बच्चों को कैसा पौष्टिक खाना मिलता है है ? *---------- साथ ही शिक्षा के मसले पर आपको किससे सवाल पूछने चाहिए ? और इसे कैसे बेहतर बनाया जा सकता है , ताकि हमारे देश का भविष्य आगे बढे।

राजीव सर की डायरी में शिक्षा व्यवस्था और शिक्षा नीति में सुधार की आवश्यकता है

रुदौली शिक्षा क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था हुई बदहाल समय से विद्यालय नहीं पहुंच रहे हैं शिक्षक। ताजा मामला रुदौली खंड शिक्षा क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय फेलसंडा का प्रकाश में आया है। ग्रामीणों का कहना है कि देर से आना-जल्दी जाना ये है यहां के शिक्षकों का रूटीन। बच्चों व अभिभावकों के बार बार शिकायत के बाद भी नहीं हो रहा सुधार। शिक्षक अपनी आदत से हैं मजबूर।