सुपौल, सुनील कुमार: सुपौल जिला मुख्यालय स्थित जिला कृषि कार्यालय के प्रांगण में दो दिवसीय कृषि यंत्रीकरण मेला का आयोजन किया गया, मेल को लेकर किसानों में उत्सुकता देखी गईl मेला का उद्घाटन जिला अधिकारी व कृषि विभाग के वरीय अधिकारी द्वारा किया गयाl मेले में किसानों द्वारा कई प्रकार के यंत्रों की खरीदारी भी की गईl

कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक आदित्य नारायण राय ने बसंतपुर ई किसान भवन में विभागीय कर्मियों के साथ बैठक की। बैठक के बाद जिला कृषि पदाधिकारी अजीत कुमार, अनुमंडल कृषि पदाधिकारी कुंदन कुमार, प्रखंड कृषि समन्वयक धर्मेन्द्र कुमार एवं राजीव रंजन के साथ बसंतपुर प्रखंड क्षेत्र के हृदयनगर, सीतापुर, रानीपट्टी के किसानों की जमीन पर जाकर स्थिति का जायजा लिया। अनुमंडल कृषि पदाधिकारी कुंदन कुमार ने बताया कि कृषि विभाग के सचिव के द्वारा हाल के दिनों में बसंतपुर को अलग प्रकार की खेती जैसे चाय, अनानास, नींबू आदि की खेती के लिए प्रोत्साहित किये जाने की बात कही गई थी। इसी खेती के तहत संयुक्त निदेशक का दौरा बसंतपुर प्रखंड में हुआ था। उन्होंने क्षेत्र के प्रगतिशील किसान श्रीलाल गोठिया, भिखारी मेहता, अभय कुमार सिंह, महेंद्र मेहता, नारायण भिंडवार आदि किसानों के खेतों पर जाकर खेती की जानकारी ली और योजनाओं की जानकारी दी। इसी क्रम में सहायक निदेशक उद्यान द्वारा इच्छुक व नवाचार में अभिरुचि लेने वाले किसानों के साथ ई- किसान भवन बसंतपुर में बैठक भी की गई। जिसमें चाय की खेती की संभावना और विभागीय सहयोग, अनुदान, तकनीक, समस्या और समाधान पर विशेष चर्चा की गई। इस क्रम में प्रगतिशील किसानों से सुझाव भी प्राप्त किया गया।

सुपौल के बागान में उपजने वाली चाय पत्ती की खुशबू प्याली में बिखरेगी और लोग यहां की चाय से गुड मार्निंग करेंगे। चाय के साथ-साथ जिले में अनानास व ड्रैगन फ्रूट की भी खेती की जाएगी। फिलहाल विभाग ने इन सभी खेती के लिए पहल शुरू कर दी है। इससे कोसी प्रभावित सुपौल जिले का न सिर्फ देश भर में कद बढ़ेगा बल्कि इस इलाके में कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति आएगी। अब तक यह जिला अन्न उत्पादन मामले में ही अपनी पहचान कायम किया हुआ है लेकिन चाय की खेती शुरू होने के बाद जिला को औद्योगिक क्षेत्र में भी पहचान मिल पाएगी। दरअसल कृषि विभाग के सचिव की पहल पर जिले में चाय, ड्रैगन फ्रूट और अनानास की खेती करने की पहल शुरू की गई है। सचिव के निर्देश के बाद विभाग ने जिले में चाय खेती की संभावना की तलाश शुरू कर दी है। इसके लिए विभाग ने न सिर्फ कमर कस ली है बल्कि चाय खेती को ले रोड मैप भी तैयार कर लिया है। विभागीय अधिकारी गांव-गांव घूम कर चाय खेती के अनुकूल जमीन की पहचान करने के साथ-साथ उस क्षेत्र के किसानों को भी इस खेती को ले प्रेरित कर रहा है। --------------------------------- किसानों से हुई है विभाग की बात पिछले दिनों सहरसा प्रमंडल के संयुक्त निदेशक शस्य के साथ जिला कृषि पदाधिकारी अजीत कुमार यादव तथा सहायक निदेशक उद्यान अमृता कुमारी ने जिले के बसंतपुर और छातापुर प्रखंड के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा कर चाय खेती की संभावना की तलाश की है। इन अधिकारियों ने चाय खेती के अनुकूल खेतों की पहचान कर आसपास के कृषकों से भी बात की है। विभाग द्वारा बसंतपुर प्रखंड के भवानीपुर तथा पुरैनी गांव में करीब 40 एकड़ जमीन की पहचान की है जहां चाय की खेती की जा सकती है। विभाग ने यहां के किसानों के साथ बैठक कर उन्हें इस खेती के बारे में जानकारी दी है। विभाग की माने तो यहां के किसानों ने भी चाय बागान लगाने के प्रति उत्सुकता दिखाई है। हालांकि जिन खेतों की पहचान विभाग द्वारा चाय खेती के लिए की गई है उसकी रिपोर्ट भेजी जाएगी तत्पश्चात चाय खेती के विशेषज्ञों द्वारा मिट्टी की जांच बाद ही उन्हें हरी झंडी दी जाएगी। ---------------------------------- किसानों को किया जा रहा जागरूक विभाग की माने तो इस योजना से सुपौल में चाय उत्पादन को गति मिलेगी और इससे जुड़े किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी। इसके लिए किसानों को सरकार द्वारा तय मानक के अनुसार सुविधा प्रदान की जाएगी। जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि सीमावर्ती जिला किशनगंज की पहचान तेजी से उभरते चाय उत्पादक इलाके के रूप में बनी है। इसी को देखते हुए विभागीय निर्देश के बाद जिले में भी इस खेती की शुरुआत करने की पहल की गई है। इसके लिए फिलहाल विभागीय स्तर से भूमि की पहचान व किसानों को जागरूक किया जा रहा है। ---------------------------- कहते हैं डीएओ जिला कृषि पदाधिकारी बताते हैं कि अन्न उत्पादन के साथ-साथ चाय व उद्यानिक फसल ड्रैगन फ्रूट, अनानास की खेती को बढ़ावा देने के लिए विभागीय प्रयास किया जा रहा है। फिलहाल विभाग के स्तर से खेतों की पहचान व वहां की भौगोलिक स्थिति के साथ-साथ जलवायु की परख की जा रही है। इसके अलावा किसानों को भी इस खेती को ले जागरूक किया जा रहा है। खेतों की पहचान के बाद इसकी रिपोर्ट विभाग को भेजी जाएगी। इसके बाद विशेषज्ञों द्वारा इसकी जांच-पड़ताल के बाद ही या खेती शुरू की जाएगी।

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिलदेव शर्मा लोबिया की खेती के बारे में बता रहे है । विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें...

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिलदेव शर्मा, मछली पालन कब और कैसे कर सकते है इस बारे में जानकारी दे रहे है। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें...

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सिंचाई की समस्याओं को दूर करने के लिए सरकार ने किसानों को समूह में नलकूप देने की योजना बनाई है। मकसद है कि वैसे लघु और सीमांत किसान जो नलकूप स्थापित करने में आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है वैसे किसान भी इस योजना का लाभ उठाकर फसलों की सिंचाई आसानी से कर सके। योजना को लेकर किसानों को अनुदान भी दिए जाने की व्यवस्था दी गई है। परंतु विडंबना देखिए कि इतने बड़े महत्वपूर्ण योजना के लिए विभाग को किसान ही नहीं मिल पा रहे हैं। या यूं कहे कि किसानों तक या तो योजना की जानकारी नहीं पहुंच पा रही है या फिर किसान योजना में रुचि नहीं ले पा रहे हैं। स्थित है कि इसके क्रियान्वयन को लेकर विभाग दिसंबर माह में ही किसानों से आवेदन लिए जाने की व्यवस्था की है, परंतु अब तक एक भी आवेदन विभाग को प्राप्त नहीं हो पाया है। उसमें भी तब जब कोसी की किसानी में आज भी सिंचाई एक बड़ी समस्या बनी हुई है। दरअसल सरकार सात निश्चय दो के तहत सूक्ष्म सिंचाई हेतु सामूहिक नलकूप योजना चलाई है। इस योजना के तहत कम से कम दो किसानों का समूह बनाना होता है। इन किसानों के पास कम से कम आधा एकड़ जमीन होनी चाहिए। इस समूह को विभाग 80 फीसद अनुदान पर बोरिंग के साथ-साथ मिनी स्प्रिंकलर भी उपलब्ध कराती है। बावजूद योजना को लेकर किसानों का आगे नहीं आना फिलहाल विभाग के लिए एक मुसीबत बनी हुई है। विभाग की माने तो आवेदन करने की स्थिति यदि यही रही तो फिर एक बार जिले में सिंचाई की यह व्यवस्था बृहद रूप नहीं ले पाएगी। हर खेत को पानी उपलब्ध कराने को लेकर सरकार ने हाल के दिनों में कई तरह की व्यवस्था कर रखी है। जहां खेतों तक बिजली पहुंचाई जा रही है वहीं सिंचाई की नई तकनीक ड्रीप, स्प्रिंकलर से लेकर नलकूप तक की व्यवस्था अनुदानित दरों पर कर रखी गई है। परंतु सरकार की यह व्यवस्था आज भी किसानों तक नहीं पहुंच पाई है। इसके लिए कहीं न कहीं विभागीय उदासीनता या फिर किसानों का परंपरागत सिंचाई से अलग नहीं हटने की मानसिकता योजना के पथ में रोड़ा अटका रहा है। ----------------------------------- योजनाओं के प्रति जागरूक नहीं हो रहे किसान भले ही सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र में योजनाओं की भरमार सी लगी हुई है। विभिन्न तरह की योजनाओं को किसानों तक पहुंचाने के लिए विभाग में पदाधिकारी व कर्मियों की एक फौज सी खड़ी है। बावजूद कई ऐसी योजना है जो विभागीय उदासीनता के कारण किसानों तक नहीं पहुंच पा रही है। ऐसे कर्मी और पदाधिकारी किसानों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। इसका नतीजा होता है कि किसान नई योजनाओं के प्रति जागरूक ही नहीं हो पाते हैं। हालांकि यदा- कदा जब कभी भी किसानों को जागरूक किया जाता है तो कुछ प्रगतिशील किस्म के किसान ही योजना का लाभ उठा पाते हैं। शेष बचे किसान जानकारी के अभाव में योजना का लाभ नहीं उठा पाते हैं। फिलहाल सामूहिक नलकूप योजना कुछ इसी और इशारा कर रहा है। इस महत्वपूर्ण योजना को लेकर आवेदन लेने की प्रक्रिया को शुरू हुए करीब एक माह से अधिक समय बीत चुका है। परंतु एक भी किसानों का आवेदन विभाग को प्राप्त नहीं होना कहीं न कहीं विभागीय कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह कर कर रहा है। जबकि रबी फसल की सिंचाई जिले में जोरों पर है। अल्प संसाधन के बावजूद किसान महंगी सिंचाई को विवश है।

बायसी पंचायत होकर बहनेवाली गम्हरिया तथा मधेपुरा उपशाखा नहर से निकलने वाली नहरी व माइनर बेकार होने से खून-पसीने की मेहनत से लगाई गई गेंहू व मकई की फसल अब पानी के लिए तरस रही है। बायसी पंचायत होकर बहने वाली मधेपुरा उपशाखा नहर से निकलने वाली नहरी लंबे समय से जर्जर होने के चलते किसान मजबूरी में पंपसेट से सिंचाई करने को मजबूर हैं।  बायसी के किसान चंदन मेहता, धनंजय मेहता, जयनारायण मेहता, पवन मेहता, रूपेश मेहता, अशोक मेहता, पुनीत मेहता, परमानंद मेहता, प्रेमदयाल मेहता, रामकुमार मेहता, गंगा मेहता आदि ने बताया कि मधेपुरा उपशाखा नहर से निकलकर बायसी वार्ड नंबर 13 में आने वाली नहरी की हालत लंबे समय से जर्जर है। जिसके चलते किसानों के खेतों तक पानी नहीं पहुंच रहा है। इस नहरी से दर्जनों एकड़ खेतों की सिंचाई होती थी। लेकिन लापरवाही व उदासीनता के चलते यह नहरी नाकाम हो गई है। किसानों ने बताया कि मनरेगा से अगर इस नहरी की सफाई व मरम्मत करवा दिया जाए तो पानी की समस्या का समाधान हो जायेगा।

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिलदेव शर्मा ,रबी फसलों में खरपतवार प्रबंधन की जानकारी दे रहे है। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें...

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ जीवदास साहू ,पछेती फूलगोभी की खेती की जानकारी दे रहे है। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें...