इस वर्ष धान खरीदारी मामले में सुपौल शुरू से ही अपना दबदबा कायम किया हुआ है। इसका परिणाम रहा कि अब तक लक्ष्य का लगभग 80 फीसद धान की खरीदारी कर ली गई है। इस विपणन वर्ष जिले को 116135 एमटी धान खरीद का लक्ष्य प्राप्त हुआ था। इस लक्ष्य को 1 नवंबर से 15 फरवरी तक में पूरा किया जाना है। इसमें से विभाग ने विभिन्न समितियों के माध्यम से 92019.006 9 एमटी की खरीदारी कर ली है जो लक्ष्य का लगभग 80 फीसद है। धान खरीदारी को लेकर मिला लक्ष्य को अब जब विभाग प्राप्त करना चाहतक है तो शेष बचे दिनों में 1607 एमटी धान का क्रय प्रतिदिन करना होगा। उसमें भी तब जब जिले के अधिकांश किसान अपना धान या तो खुले बाजार में बेच चुके हैं या फिर सरकारी क्रय समिति के हाथों। फिलहाल जिले में धान खरीदारी की स्थिति कुछ इसी प्रकार की है। सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीदारी के लिए निर्धारित की गई अंतिम तिथि में महज 14 दिन का समय शेष रह गया है। इस तरह यदि विभाग सरकार द्वारा लक्ष्य को प्राप्त करना चाहता है तो शेष बचे दिनों में लक्ष्य का 20 फीसद धान की खरीद करनी होगी। दरअसल इस वर्ष धान खरीदारी मामले में विभाग शुरुआती दिनों से ही सजग रहा है। जहां विभाग निर्धारित समय से धान की खरीदारी शुरू कर दी वहीं किसानों ने भी पैक्सों के हाथों धान खरीदने में रुचि ली। हालांकि शुरुआती एक माह तक भुगतान प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होने के कारण किसानों से खरीदे गए धान का भुगतान लंबित रहा। इधर धान का बाजार भाव भी एमएसपी के करीब पहुंच गया। बावजूद जिले के किसानों ने समितियां के हाथों धान बेचने में दिलचस्पी दिखाई। परिणाम रहा कि धान खरीदारी मामले में जिला लगातार सूबे में अपना दबदबा कायम रखा। सरकार द्वारा की गई धान अधिप्राप्ति की व्यवस्था के प्रति किसानों का रुझान का पता इससे चलता है कि इस बार जिले के 25765 किसानों ने निबंधन कराया। आवेदन में से 12969 किसानों से धान की खरीदारी संभव हो पाई है। दरअसल पिछले कुछ वर्षों से जिले में धान खरीदारी के प्रति विभाग सजग दिख रहा है। इससे पहले जब किसानों की फसल उनके खलिहान में होती थी तो उस समय धान खरीदारी की सुगबुगाहट तक नहीं होती थी। जबकि उस समय किसानों के पास रबी की बोआई के लिए पैसे की दरकार होती है। इसके अलावा साहूकारों का तगादा या फिर बच्चों की पढ़ाई उन्हें खुले बाजार में उन्हें औने-पौने दाम पर धान बेचने की मजबूरी होती थी। स्थिति ऐसी होती थी कि जब छोटे और मझौले किसान अपना धान बेच चुके होते थे तो विभाग की सुगबुगाहट ही शुरू होती थी। परिणाम होता था कि जिले को मिला लक्ष्य बड़ा दिखने लगता था। परंतु इस बार सब कुछ समय से शुरू होने के कारण सरकार के इस योजना का फायदा जिले के किसानों को हुआ है तथा जिला लगभग लक्ष्य के करीब है। सरकारी दरों पर धान खरीद करने को लेकर विभाग की ओर से जिला को लक्ष्य निर्धारित किया जाता है जो लक्ष्य फसल के क्रॉप कटिंग के आधार पर होता है। क्रॉप कटिंग के कर विभाग पहले जिले में हुए पैदावार का आकलन करता है, जिसके बाद कुल उपज का 40 फीसद उत्पादन को विक्रय की सूची में रखकर जिला को लक्ष्य निर्धारित किया जाता है। इसी आधार पर इस वर्ष जिला को 116135 एमटी धान का लक्ष्य निर्धारित किया गया था।