दोस्तों 5 सितंबर भारतीय कैलेंडर में एक स्मारक दिवस है, जो एक महान दूरदर्शी शिक्षाविद् और भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन पर मनाया जाता है । इस दिन शिक्षकों द्वारा की गई उन सभी अथक सेवाओं को याद किया जाता है जो युवा भावी पीढ़ियों के दिमाग को आकार देती हैं। तो आइये साथियों आज के दिन हम और आप सभी मिलकर शिक्षकों को उनके योगदान के लिए कोटि कोटि धन्यवाद कहें। और साथ ही समस्त मोबाइल वाणी परिवार की ओर से आप सभी श्रोताओं को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के बारे में एक महिला क्या सोचती है... यह जानना बहुत दिलचस्प है.. चलिए तो हम महिलाओं से ही सुनते हैं इस खास दिन को लेकर उनके विचार!! आप अपने परिवार की महिलाओं को कैसे सम्मानित करना चाहेंगे? महिला दिवस के बारे में आपके परिवार में महिलाओं की क्या राय है? एक महिला होने के नाते आपके लिए कैसे यह दिन बाकी दिनों से अलग हो सकता है? अपने परिवार की महिलाओं को महिला दिवस पर आप कैसे बधाई देंगे... अपने बधाई संदेश फोन में नम्बर 3 दबाकर रिकॉर्ड करें.

2016 में 14% छात्र औपचारिक शिक्षा से बाहर थे जो कि देश में 2023 में भयानक सुधार होने के बाद भी अब मात्र 13.2 फीसद बाहर हैं ... 2016 में 23.4 फीसद अपनी भाषा में कक्षा 2 का पाठ नहीं पढ़ पाते थे आज 2023 में अति भयानक सुधार के साथ ये आंकड़ा 26.4 प्रतिशत है ... देश के आज भी 50 फीसद छात्र गणित से जूझ रहे हैं ... मात्र 8 साल में गणित में हालात बद से बदतर हो गए ... 42.7% अंग्रेजी में वाक्य नहीं पढ़ सकते हैं... अगर आप सरकार से जवाब माँगिए , तो वे कहती है कि वो लगातार बैठकें कर रहे हैं लेकिन असर की रिपोर्ट बताती है कि ये बैठकें कितनी बेअसर हैं... तो विश्व गुरु बनने तक हमें बताइये कि *-----आपके गांव या जिला के स्कूलों की स्थिति क्या है ? *-----वहां पर आपके बच्चों को या अन्य बच्चों को किस तरह की शिक्षा मिल रही है ? *-----और आपके गाँव के स्कूलों में स्कुल के भवन , बच्चों की पढ़ाई और शिक्षक और शिक्षिका की स्थिति क्या है ?

सरकार का दावा है कि वह 80 करोड़ लोगों को फ्री राशन दे रही है, और उसको अगले पांच साल तक दिये जाने की घोषणा की है। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में यह भी दावा किया कि उनकी सरकार की नीतियों के कारण देश के आम लोगों की औसत आय में करीब 50 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। इस दौरान वित्त मंत्री यह बताना भूल गईं की इस दौरान आम जरूरत की वस्तुओं की कीमतों में कितनी बढ़ोत्तरी हुई है।

हमारे देश में सभी को शिक्षा का अधिकार है लेकिन लड़कियों को इसके लिए कहीं अधिक संघर्ष करना पड़ता है। कई बार घर के काम के बोझ के साथ स्कूल के बस्ते का बोझ उठाना पड़ता है तो कभी लोगों की गंदी नज़रों से बच-बचा के स्कूल का सफर तय करना पड़ता है। जैसे-तैसे स्कूल पहुंचने के बाद भी यौन शोषण और भावनात्मक शोषण की अलग चुनौती है जो रोज़ाना उनके धैर्य और हिम्मत की परीक्षा लेती है। ऐसे में लड़कियों के लिए सुरक्षित माहौल बनाने की जिम्मेदारी शासन-प्रशासन के साथ साथ समाज की भी है। तब तक आप हमें बताइए कि * -----लड़कियों के स्कुल छोड़ने के या पढ़ाई पूरी ना कर पाने के आपको और क्या कारण नज़र आते है ? * -----आपके हिसाब से हमें सामाजिक रूप से क्या क्या बदलाव करने की ज़रूरत है , जिससे लड़कियों की शिक्षा अधूरी न रह पाए।

मधेपुरा सदर अनुमंडल के मुरलीगंज प्रखंड अंतर्गत गंगापुर पंचायत के उच्च माध्यमिक विद्यालय भलनी एवं बीएल इंटर स्कूल मुरलीगंज में मधेपुरा मंथन एक शिक्षा संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया... कार्यक्रम का उद्घाटन मधेपुरा डीएम विजय प्रकाश मीणा, सदर एसडीएम धीरज कुमार सिन्हा, सूचना जनसंपर्क पदाधिकारी कुंदन कुमार , जिला शिक्षा पदाधिकारी एवं अन्य अतिथियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया... इस अवसर पर डीएम विजय प्रकाश मीणा ने कहा कि बिहार सरकार के शिक्षा विभाग की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं के बारे में आमजनों को जानकारी के लिए मधेपुरा जिले भर में मधेपुरा मंथन ,शिक्षा एक संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है....यह कार्यक्रम 20 जनवरी तक जिले के सभी 181 उच्च और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में आयोजित होगी...इसके तहत वर्ग 09 से वर्ग 12 तक के सभी छात्र-छात्रा एवं उनके अभिभावकों से संवाद स्थापित किया जा रहा है... साथ ही उन्हें शिक्षा विभाग द्वारा संचालित सभी योजनाओं की भी जानकारी दी जा रही है...बच्चों के बेहतर भविष्य, स्वरोजगार, नियोजन एवं शैक्षिक अभिवृद्धि के बारे में चर्चा करते हुए अन्य विभिन्न विभागों की संचालित योजनाएं के बारे में भी बताया जा रहा है... शिक्षा संवाद कार्यकम अंतर्गत बच्चों एवं उनके अभिभावकों से भी सुझाव, प्रतिकिया एवं शिकायत प्राप्त की जा रही है... जिसका संबंधित विभाग के द्वारा निष्पादन किया जाएगा...इस दौरान मधेपुरा डीएम ने कहा कि इसका उद्देश्य शैक्षणिक वातावरण को और बेहतर बनाते हुए जिले में एक अच्छा शैक्षिक माहौल बनाना है... एक दिन में कम से कम 30 विद्यालयों में यह कार्यक्रम आयोजित होगा...उन्होंने कहा कि वे स्वयं भी सुदूर क्षेत्रों में विद्यालय जाकर शिक्षा संवाद कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं...

यूनेस्को की 2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब 1.10 लाख ऐसे स्कूल हैं जो केवल एक ही शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। इसके अलावा देश भर में शिक्षकों के लगभग 11.16 लाख पद खाली हैं और उसमें से भी तक़रीबन 70 फीसदी पद गांव के इलाके के स्कूलों में हैं। है ना मज़ेदार बात। जो गाँव देश की आत्मा है , जिसके लिए सभी सरकारें खूब बड़ी बड़ी बातें बोलती रहती है। कभी किसान को अन्नदाता , भाग्य विधाता, तो कभी भगवान तक बना देती है। उसी किसान के बच्चों के पढ़ने के लिए वो स्कूलों में सही से शिक्षक नहीं दे पाती है। जिन स्कूलों में शिक्षक है वहाँ की शिक्षा की हालत काफी बदहाल है. माध्यमिक से ऊपर के ज्यादातर स्कूलों में संबंधित विषयों के शिक्षक नहीं हैं. नतीजतन भूगोल के शिक्षक को विज्ञान और विज्ञान के शिक्षक को गणित पढ़ाना पड़ता है. ऐसे में इन बच्चों के ज्ञान और भविष्य की कल्पना करना मुश्किल नहीं है. लोग अपनी नौकरी के लिए तो आवाज़ उठा रहे है। लेकिन आप कब अपने बच्चो की शिक्षा के लिए आवाज़ उठाएंगे और अपने जन प्रतिनिधियों से पूछेंगे कि कहाँ है हमारे बच्चो के शिक्षक? खैर, तब तक, आप हमें बताइए कि ------आपके गाँव या क्षेत्र में सरकारी स्कूलों में कितने शिक्षक और शिक्षिका पढ़ाने आते है ? ------ क्या आपने क्षेत्र या गाँव के स्कूल में हर विषय के शिक्षक पढ़ाने आते है ? अगर नहीं , तो आप अपने बच्चों की उस विषय की शिक्षा कैसे पूरी करवाते है ? ------साथ ही शिक्षा के मसले पर आपको किससे सवाल पूछने चाहिए ? और इसे कैसे बेहतर बनाया जा सकता है , ताकि हमारे देश का भविष्य आगे बढे।

दोस्तों, बीते कुछ सालों में भारत के हर शहर में स्कूलों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि एडमिशन का फैसला लेना आसान नहीं होता है. हर कोई अपने स्कूल को बेस्ट दिखाने की होड़ में लगा हुआ है. इस वजह से किसी भी स्कूल में बच्चे का एडमिशन करवाने से पहले माँ-बाप को कई स्तरों पर गहरी खोज बिन करनी पड़ती है. लेकिन ये खोज बिन या पड़ताल करते है शहर में रहने वाले माँ बाप। गाँव आज भी हमारे नक़्शे से गायब है या फिर मनोज कुमार की फिल्मो के जरिए हम गाँव को गाँव की तरह खोजने की कोशिश में लगे हुए है। क्या आपने कभी वोट देने अपने नुमाईंदों से पूछा है कि आपके क्षेत्र के स्कूलों की स्थिति ऐसी क्यों है ? बच्चे जो आपके भविष्य है उनके भविष्य का क्या होगा ? या किसी भी पार्टी को वोट देने से पहले आपको अपने बच्चे के भविष्य को लेकर यह ख़्याल आता है ? बात साफ़ है कि कम्पनियों के सरकारों के प्रवक्ता आपको इस और सोचने ही नहीं देंगे। वो चाहते है कि आप उनका झंडा उठाये, टोपी पहले और भीड़ में शामिल होकर एक-दूसरे पर चिल्लाते रहे और वो अपने बच्चों को विदेशो में पढ़ाते रहे । याद रखिए जो सरकार या पार्टी आपका या आपके पारवार कहा भविष्य खराब कर रहा है वो देश का अच्छा कैसे कर सकता है , उनके केंद्र में आप नहीं हैं तो देश भी नहीं होगा ? खैर.. ये तो आपके निर्णय की बात है तब तक, आप हमें बताइए कि ***** आपके गाँव या क्षेत्र में सरकारी स्कूलों में पढ़ाई कैसी है ? ***** वहां के स्कुल कितने शिक्षक और शिक्षिका आते है ? ***** साथ ही आपके बच्चों को या अन्य बच्चों को आपके गाँव के स्कूलों में किस तरह की शिक्षा मिल रही है ?

दोस्तों, सरकारी स्कूलों की बदहाली किससे छुपी है? इसी कारण देश की पूरी शिक्षा व्यवस्था, प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा तक, पूरी तरह से बाजारवाद में जकड़ गई है। उच्च व मध्यम वर्ग के बच्चे तो प्राइवेट स्कूलों में अपने भविष्य का निर्माण करते हैं। नेताओं और नौकरशाह की बात तो दूर अधिकांश विद्यालय में कार्यरत शिक्षक के बच्चे भी सुविधा संपन्न प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई करते हैं भला ऐसे में सरकारी विद्यालयों की दुर्दशा की चिंता किसे होगी? देश के छोटे से छोटे विकास खंड में सरकारी स्कूलों में करोड़ों खर्चे जाते हैं फिर भी उनका स्तर नहीं सुधरता। -------------तो दोस्तों, आप हमें बताइए कि आपके गांव या जिला के स्कूलों की स्थिति क्या है ? -------------वहां पर आपके बच्चों को या अन्य बच्चों को किस तरह की शिक्षा मिल रही है ? -------------और आपके गाँव के स्कूलों में स्कुल के भवन , बच्चों की पढ़ाई और शिक्षक और शिक्षिका की स्थिति क्या है ? दोस्तों इस मुद्दे पर अपनी बात को जरूर रिकॉर्ड करें अपने फ़ोन में नंबर 3 का बटन दबाकर या मोबाइल वाणी एप्प में ऐड का बटन दबाकर।

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