मैं राकेश वर्मा हूँ , मैं पश्चिम चंपारण मोबाइल बारी के सभी वक्ताओं को सलाम करता हूँ , आज मैं आपको बताना चाहता हूँ कि अगर तीन गति वाली ट्रेनों पर पुलिस और परिवहन विभाग का नियंत्रण होता । तो कल एक मैट्रिक परीक्षक की मृत्यु नहीं होगी , कल खबर है कि मैट्रिक परीक्षक जो मिश्रौली चौक के पास जा रहा है बितिया परीक्षा देने के लिए , जिसका केंद्र केदार पांडे हाई स्कूल बितिया में था , एक तेज रफ्तार पुलिस ने जिले में वाणिज्यिक निजी वाहन को रोक दिया । और अगर पुलिस और परिवहन विभाग द्वारा बाइक की गति पर अंकुश लगाया जाता , तो ऐसी घटना नहीं होती , केवल पुलिस को पता था कि जांच के नाम पर जुर्माना और जुर्माना लगाया गया है । औसतन हर दिन दो से तीन लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा रहे हैं और सड़क दुर्घटना के बाद चालकों के खिलाफ कार्रवाई की गति इतनी धीमी है कि इससे चालकों का मनोबल प्रभावित नहीं होता है आपको बता दें कि आंकड़ों के अनुसार 2 अप्रैल , 23 तक विभाग के पास अब तक 50 चालकों का लाइसेंस रद्द करने का प्रस्ताव आया है , लेकिन सच्चाई यह है कि आज तक उस दिशा में कोई पहल नहीं की गई है । विभाग की किसी भी तरह की लापरवाही हुई तो सड़क पर चलना मुश्किल होगा और यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि अगर नाबालिग लड़के रोशनी चलाते हैं ।