संस्कृत विद्या सभी भाषाओं की जननी मानी जाती है परन्तु संस्कृत विद्या के प्रति समाज और सरकार दोनो उदासीन है और अब तो संस्कृत जो समाज की धरोहर एवं सनातन की रक्षक कही जाती थीं वह समाप्ति की ओर हैं