घरेलू हिंसा बिल्कुल कानून संज्ञेय अपराध है। इस हिंसा में खासकर परिवार की किशोर/किशोरी एवं महिलाएं शिकार होती है। परिवार व समाज इनका पालक होने के नाते शोषण करते है और ये लाख शोषण होने बावजूद चुप्पी साध सब कुछ सहने को विवश होते है। इसलिए हिम्मत के साथ प्रतिकार करने की जरूरत है।