उत्तरप्रदेश राज्य के गोंडा जिला से माधुरी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही हैं कि राजीव की डायरी कार्यक्रम में महिलाओं को उन पर हो रहे घरेलू हिंसा के प्रति जागरूक किया जा रहा है। लड़कियों का दर औसतन बहुत कम हो गया है इसलिए लड़कियों को जीने देना चाहिए साथ ही दहेज प्रथा को बंद करवाना चाहिए

उत्तरप्रदेश राज्य के गोंडा जिला से मनु सिंह ने गोंडा मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि कुछ सांस्कृतिक और सामाजिक-आर्थिक नीतियों के कारण पुराने समय से किया जा रहा कन्या भ्रूण हत्या एक अनैतिक कार्य है। कन्या भ्रूण हत्या एक अनैतिक कार्य है। कन्या भ्रूण हत्या का मुख्य कारण बालिका की तुलना में बालक की प्राथमिकता है क्योंकि पुत्र आय का मुख्य स्रोत है जबकि बालिकाएँ केवल उपभोक्ता के रूप में हैं। लड़के अपने माता-पिता की सेवा करते हैं जबकि लड़कियां सबसे अमीर होती हैं। दहेज की पुरानी प्रणाली भारत में माता-पिता के सामने एक बड़ी चुनौती है, जो लड़कियों को जन्म लेने से रोकती है। इसका कारण पितृसत्तात्मक भारतीय समाज में महिलाओं की निम्न स्थिति है माता-पिता का मानना है कि बेटा समाज में अपना नाम आगे बढ़ाएगा जबकि लड़कियां केवल घरेलू अवैध संबंध परीक्षण को संभालने के लिए होती हैं

उत्तरप्रदेश राज्य के गोंडा जिला से मनु सिंह ने गोंडा मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि दहेज प्रथा का विरोध किया जाना चाहिए। हिंदू समाज के कई कार्यों में आज भी दहेज की प्रथा बहुत दर्दनाक बनी हुई है। यह दुखद है कि हर परिवार में लड़के और हर परिवार में लड़कियां हैं। लड़की को दहेज देते समय हमें कितनी कठिनाई हुई और भावी लड़कियों को दहेज देते समय हमें कितनी कठिनाई का सामना करना पड़ेगा। विभाजन के समय दूसरे विचार पैदा करना एक विडंबना है जो दूसरों को भी प्रभावित करता है और दूसरों के लिए अप्रिय परिस्थितियाँ पैदा करता है, जो सभी भ्रम के इस दुष्चक्र में उलझे हुए हैं।

उत्तर प्रदेश राज्य के गोंडा जिला से सायरा बनो मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही है की राजीव की डायरी सुनने के अच्छा लगता है।राजीव जी की डायरी में जो मुद्दा बताया गया है वो काफी अच्छा है

उत्तरप्रदेश राज्य के गोंडा जिला से सायरा बानो मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही हैं कि राजीव की डायरी से लड़कियों के ऊपर हो रहे हिंसा के बारे में जानकारी मिलता है

सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...

बेटों की चाह में बार-बार अबॉर्शन कराने से महिलाओं की सेक्शुअल और रिप्रोडक्टिव लाइफ पर भी बुरा असर पड़ता है। उनकी फिजिकल और मेंटल हेल्थ भी खराब होने लगती है। कई मनोवैज्ञानिको के अनुसार ऐसी महिलाएं लंबे समय के लिए डिप्रेशन, एंजायटी का शिकार हो जाती हैं। खुद को दोषी मानने लगती हैं। कुछ भी गलत होने पर गर्भपात से उसे जोड़कर देखने लगती हैं, जिससे अंधविश्वास को भी बढ़ावा मिलता है। तो दोस्तों आप हमें बताइए कि * -------आखिर हमारा समाज महिला के जन्म को क्यों नहीं स्वीकार पाता है ? * -------भ्रूण हत्या और दहेज़ प्रथा के आपको क्या सम्बन्ध नज़र आता है ?

बनो नई सोच ,बुनो हिंसा मुक्त रिश्ते की आज की कड़ी में हम सुनेंगे महिलाओं के साथ होने वाले दुर्व्यवहार और हिंसा के बारे में।

दहेज में परिवार की बचत और आय का एक बड़ा हिस्सा खर्च होता है. वर्ष 2007 में ग्रामीण भारत में कुल दहेज वार्षिक घरेलू आय का 14 फीसदी था। दहेज की समस्या को प्रथा न समझकर, समस्या के रूप में देखा जाना जरूरी है ताकि इसे खत्म किया जा सके। तो दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- दहेज प्रथा को लेकर आपके क्या विचार है ? *----- आने वाली लोकसभा चुनाव में दहेज प्रथा क्या आपके लिए मुद्दा बन सकता है ? *----- समाज में दहेज़ प्रथा रोकने को लेकर हमें किस तरह के प्रयास करने की ज़रूरत है और क्यों आज भी हमारे समाज में दहेज़ जैसी कुप्रथा मौजूद है ?

बनो नई सोच ,बुनो हिंसा मुक्त रिश्ते की आज की कड़ी में हम सुनेंगे यौन हिंसा के बारे में।