उत्तर प्रदेश राज्य के गोंडा जिला से माधुरी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि समुद्र का जल स्तर बढ़ रहा है जो विश्व स्तर पर जलवायु परिवर्तन का एक प्रमुख कारण है। वार्मिंग के दौरान, ग्लेशियर की बर्फ पिघल जाती है और समुद्र का स्तर बढ़ जाता है, जिससे आस-पास के द्वीपों के डूबने का खतरा रहता है। उदाहरण के लिए, छोटे द्वीप देशों में रहने वाले लोग पहले से ही वैकल्पिक स्थलों की तलाश कर रहे हैं क्योंकि जलवायु परिवर्तन की अत्यधिक गर्मी के कारण ग्लेशियर पिघल जाते हैं, जिससे समुद्र के स्तर में महत्वपूर्ण वृद्धि होती है।

उत्तर प्रदेश राज्य के गोंडा जिला से माधुरी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि बारिश में बदलाव आया है, जिससे जलवायु में बदलाव आया है, इसलिए बारिश हर मौसम में बदल गई है, बाढ़, सूखा आदि। अनियमितता हुई है, यानी बाढ़ अपने समय पर नहीं आती है, बारिश अपने समय पर नहीं आती है, इसलिए बाढ़ आएगी जहां से सूखा भी अपने समय पर नहीं पड़ता था और जो बारिश अपने समय पर होती थी वह भी मौसम की अनियमितता बन गई है। जिस मौसम में काम करना चाहिए, वह नहीं हो रहा है। इसमें काफी वृद्धि हुई है। यह सब जलवायु परिवर्तन के कारण हुआ है। कहीं बहुत बारिश हो रही है तो कहीं सूखे की कमी है।

उत्तर प्रदेश राज्य के गोंडा जिला से माधुरी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि जलवायु परिवर्तन उच्च तापमान बिजली संयंत्रों से ग्रीन हाउस गैस सुन रहे हैं। उत्सर्जन अपेक्षाकृत तेजी से पृथ्वी को गर्म कर रहे हैं, पिछले कई वर्षों में तापमान लगातार बढ़ रहा है, और वर्ष दो हजार सोलह को रिकॉर्ड पर सबसे गर्म वर्ष के रूप में दर्ज किया गया है। गर्मी मौतों और बीमारियों को बढ़ा रही है समुद्र का स्तर भी तूफान की तीव्रता को बढ़ा रहा है जलवायु परिवर्तन के कई अन्य खतरनाक परिणामों में तापमान में वृद्धि शामिल है। इसे एक कारण के रूप में भी देखा जा सकता है कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के प्रयास क्यों नहीं किए जाते हैं यदि उन्हें गंभीरता से नहीं लिया जाता है।

उत्तर प्रदेश राज्य के गोंडा जिला से माधुरी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि आज हम जंगल की आग, जंगलों में जलवायु परिवर्तन के कारण लंबे समय तक चलने वाली गर्मी की लहर के बारे में बात करेंगे। बताया जा रहा है कि दो हजार उन्नीस जनवरी से कई स्थानों पर ऐसे पौधे लगाए गए हैं जो आग के लिए उपयुक्त गर्म और उपजाऊ स्थिति पैदा कर सकते हैं। वनों को जंगल की आग का सामना करना पड़ा है और यह भी पता चला है कि इसमें आग लगने की घटना हो सकती है। यह पिछले कुछ वर्षों से बताया जा रहा है, इसलिए हमें जंगल की आग से डरना नहीं चाहिए।

उत्तर प्रदेश राज्य के गोंडा जिला से माधुरी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप भविष्य में बीमारियों के प्रसार और आर्थिक नुकसान को सुन रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियां बढ़ेंगी और उन्हें नियंत्रित करना मुश्किल होगा। बताया जा रहा है कि गर्मी की लहर के कारण अब तक लगभग पंद्रह हजार करोड़ और लोग हैं। वे मर गए हैं, जिनमें उन्हें बीमारियां हैं, गंदा पानी पीने से उन्हें अच्छा पीने का पानी नहीं मिल पा रहा है, वहां से वे बीमारियों का शिकार हो रहे हैं, जिससे वे लोगों को बचा सकते हैं।

उत्तर प्रदेश राज्य के गोंडा जिला से माधुरी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि तापमान में वृद्धि और वनस्पति पैटर्न में परिवर्तन ने कुछ पक्षी प्रजातियों को विलुप्त होने के लिए मजबूर कर दिया है। वर्ष 2000 में पृथ्वी की एक चौथाई प्रजातियाँ विलुप्त हो सकती हैं। भालू को उन जानवरों की सूची में जोड़ा गया था जो समुद्र के स्तर में वृद्धि के कारण विलुप्त हो सकते हैं। और कला इसमें है, जैसा कि जंगलों की कई प्रजातियां हैं जो विलुप्त हो गई हैं, जैसे कि पक्षियों में गौर या बाज़ू, जो केवल चिड़ियाघरों में दिखाई देते हैं, जंगलों में नहीं, वे विलुप्त क्यों हो रहे हैं? जंगल में अपना आश्रय छोड़कर सड़कों पर बाहर घूमने वाला कोई वन्यजीव नहीं है, वे गर्मी की गर्मी से बहुत पीड़ित हैं, लोग पेड़ काट रहे हैं, उन्हें जंगल में रहने के लिए आश्रय नहीं मिल रहा है।

उत्तर प्रदेश राज्य के गोंडा जिला से माधुरी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि हम जलवायु परिवर्तन और खाद्य सुरक्षा के बारे में बात करेंगे। खाद्यान्नों में कमी आनी शुरू हो गई है, समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, साथ ही भूमि क्षरण, फसल की पैदावार कम हो रही है, आय पहले से ही आम है। ये क्षेत्र तेजी से बढ़ते तापमान के कारण सूखे की चपेट में भी आ सकते हैं और अधिक और कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अतिरिक्त भोजन जैसे गेहूं और मक्के पर निर्भर हैं। फसल की पैदावार पहले से ही कम हो रही है। वायुमंडल में कार्बन की मात्रा बढ़ने से फसलों की पोषण गुणवत्ता कम हो रही है। उच्च कार्बन वातावरण खराब गेहूं पोषण का कारण बनता है। और प्रोटीन जिंक का छह प्रतिशत से तेरह प्रतिशत।

उत्तर प्रदेश राज्य के गोंडा जिला से माधुरी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल भी हो सकता है, जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम और विश्व मौसम विज्ञान संगठन द्वारा एक सौ 95 सदस्य देशों से मिलकर एक परिवर्तन संबंधी मूल्यांकन निकाय की स्थापना की गई थी। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और संभावित भविष्य के जोखिमों के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन और शमन के लिए ए. टी. में उन्नीस ए. टी. की स्थापना की गई है। जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्यकर्ताओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए संयुक्त राष्ट्र की ओर से प्रयास किए गए हैं।

उत्तर प्रदेश राज्य के गोंडा जिला से माधुरी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना, 2008 में लोगों का समर्थन करने के मुख्य उद्देश्य के साथ शुरू की गई थी। सरकार की विभिन्न एजेंसियों के प्रतिनिधियों को वैज्ञानिक उद्योगों और समुदायों को जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न खतरे और इससे निपटने के उपायों के बारे में जागरूक करना था। इसकी कई कार्य योजनाएं थीं-राष्ट्रीय और मिशन योजना राष्ट्रीय सौर मिशन योजना विकसित राष्ट्रीय ऊर्जा दक्षता मिशन सतत पर्यावास राष्ट्रीय जल मिशन पर राष्ट्रीय मिशन।

उत्तर प्रदेश राज्य के गोंडा जिला से माधुरी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि हम जलवायु परिवर्तन, उत्सर्जन में कटौती और ग्लोबल वार्मिंग को धीमा करने के बारे में बात करेंगे। जलवायु परिणामों के अनुकूल होने के लिए हम जो कुछ भी कर सकते हैं, वह करने के अलावा, हमें अपनी और अपने समुदाय की रक्षा करने में सक्षम होना चाहिए, इस आधार पर कि आप कहाँ रहते हैं। लेकिन प्रभाव अलग-अलग होता है, इसका मतलब आग या बाढ़, सूखा, गर्म या ठंडे दिन, या समुद्र का स्तर बढ़ना हो सकता है। अनुकूलन के कई तरीके हैं। आप अपने घर के आसपास पेड़ लगा सकते हैं और उन्हें संरक्षित कर सकते हैं ताकि अंदर का तापमान ठंडा रहे। झाड़ियों की सफाई से आग को रोका जा सकता है।