दोस्तों, हमारे आपके बीच ऐसी महिलाओं के बहुत से उदाहरण हैं, पर उन पर गौर नहीं किया जाता. अगर आपने गौर किया है तो हमें जरूर बताएं. साथ ही वे महिलाएं आगे आएं जो घंटों पानी भरने और ढोने का काम करती हैं. उनका अपना अनुभव कैसा है? वे अपने जीवन के बारे में क्या सोचती हैं? क्या इस काम के कारण उनका जीवन नरक बन रहा है? क्या वे परिवार में पानी की आपूर्ति के चक्कर में अपना आत्मसम्मान खो रही हैं? क्या कभी ऐसा कोई वाक्या हुआ जहां पानी के बदले उनसे बदसलूकी की गई हो, रास्ते में किसी तरह की दुर्घटना हुई हो या फिर किसी तरह के अपशब्द अपमान सहना पडा?
दोस्तों, राष्ट्रीय महिला आयोग की रिपोर्ट के अनुसार एक महिला अभी भी 2.5 किमी तक पैदल चलकर जाती हैं ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं अपने परिवार के लिए पीने का पानी लाने में औसतन दिन में 3-4 घंटे खर्च करती हैं, यानि अपने पूरे जीवन काल में 20 लाख घंटों से भी ज्यादा. क्या आपको ये बातें पता है ?और ज्यादा जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें.
दोस्तों, मोबाइलवाणी के अभियान क्योंकि जिंदगी जरूरी है में इस बार हम इसी मसले पर बात कर रहे हैं, जहां आपका अनुभव और राय दोनों बहुत जरूरी हैं. इसलिए हमें बताएं कि आपके क्षेत्र में बच्चों को साफ पानी किस तरह से उपलब्ध हो रहा है? क्या इसमें पंचायत, आंगनबाडी केन्द्र आदि मदद कर रहे हैं?आप अपने परिवार में बच्चों को साफ पानी कैसे उपलब्ध करवाते हैं? अगर गर्मियों में बच्चों को दूषित पानी के कारण पेचिस, दस्त, उल्टी और पेट संबंधी बीमारियां होती हैं, तो ऐसे में आप क्या करते हैं? क्या सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों से बच्चों का इलाज संभव है या फिर इलाज के लिए दूसरे शहर जाना पड रहा है? जो बच्चे स्कूल जा रहे हैं, क्या उन्हें वहां पीने का साफ पानी मिल रहा है? अगर नहीं तो वे कैसे पानी का इंतजाम करते हैं?
पानी में आर्सेनिक, लोह तत्व और दूसरे घातक पदार्थों की मात्रा महिलाओं के स्वास्थ्य पर सबसे बुरा असर कर रही है और फिर यही असर गर्भपात, समय से पहले बच्चे का जन्म या फिर कुपोषण के रूप में सामने आ रहा है. साथियों, हमें बताएं कि आपके परिवार में अगर कोई गर्भवति महिला या नवजात शिशु या फिर छोटे बच्चे हैं तो उन्हें पीने का पानी देने से पहले किस प्रकार साफ करते हैं? अगर डॉक्टर कहते हैं कि बच्चों और महिलाओं को पीने का साफ पानी दें, तो आप उसकी व्यवस्था कैसे कर रहे हैं? क्या आंगनबाडी केन्द्र, एएनएम और आशा कार्यकर्ता आपको साफ पानी का महत्व बताती हैं? और ये भी बताएं कि आप अपने घर में किस माध्यम से पानी लाते हैं यानि बोरवेल, चापाकल या कुएं और तालाबों से?
साथियों, आपके यहां पानी के प्रदूषण की जांच कैसे होती है? यानि क्या सरकार ने इसके लिए पंचायत या प्रखंड स्तर पर कोई व्यवस्था की है? अगर आपके क्षेत्र में पानी प्रदूषित है तो प्रशासन ने स्थानीय जनता के लिए क्या किया? जैसे पाइप लाइन बिछाना, पानी साफ करने के लिए दवाओं का वितरण या फिर पानी के टैंकर की सुविधा दी गई? अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो आप कैसे पीने के पानी की सफाई करते हैं? क्या पानी उबालकर पी रहे हैं या फिर उसे साफ करने का कोई और तरीका है? पानी प्रदूषित होने से आपको और परिवार को किस किस तरह की दिक्कतें आ रही हैं?
उत्तरप्रदेश राज्य के गोंडा जिला से मंजू यादव मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि पानी की मांग दुनिया में आपूर्ति से ज्यादा है। बढ़ती आबादी ,सिंचाई ,कृषि उत्पादन के कारण पानी की मांग बढ़ गयी है। इस बीच अपर्याप्त जल आधारभूत संरचना जल वायु परिवर्तन द्वारा लाई गयी परिवर्तन शीलता में बढ़ोतरी जल आपूर्ति को प्रभावित कर सकता है
उत्तरप्रदेश राज्य के गोंडा जिला से मंजू यादव मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में लगातार बदलाव हो रहे हैं। जिससे मौसम के अत्यधिक घटनायें जैसे पानी की आपूर्ति खतरे में पड़ जाएगी। हाल ही के आंकड़ों के अनुसार कई लोग पानी की कमी से जूझ रहे हैं इसलिए जल बचाएँ जीवन बचायें
उत्तरप्रदेश राज्य के गोंडा जिला से सायरा बानो ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि पिछले कुछ दशकों से जल संकट भारत के लिये बहुत बड़ी समस्या है। इन दिनों जल संरक्षण शोधकर्ताओं के लिये मुख्य विषय है। जल संरक्षण की बहुत सी विधियाँ सफल हो रही हैं। जल संकट और जल संरक्षण से सम्बन्धित अनेक विषयों पर इस लेख में विचार किया गया है।
उत्तरप्रदेश राज्य के गोंडा जिला से मनु सिंह मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि बरसो पहले एक कहावत कही गयी थी 'बिन पानी सब सून' आज यह सच्ची साबित होती दिख रही है। प्रकृति और परंपरा हमेशा साथ रहे ,मनुष्य की इसे नियंत्रित करने की स्वार्थ से इनपर ग्रहण लग गया है।पानी के पारंपरिक स्रोत को निजी स्वार्थ के लिए नष्ट करने से परेशानी हो रही है। पानी के पारंपरिक स्रोतों में तालाब का महत्वपूर्ण स्थान है। जिस के विज्ञान और व्यवस्था को समझने में बहुत बड़ी गलती हो रही है। इससे पहले घरों और गांवों में पानी की व्यवस्था तालाबों में ही होती थी।लेकिन अब तालाब ,कुएँ सब सुख रहे हैं। लोगों को पीने का पानी नसीब नहीं हो रहा है
साथियों, हमें बताएं कि क्या आपके क्षेत्र के सरकारी जिला अस्पतालों, उपस्वास्थ्य केन्द्रों, स्वास्थ्य केन्द्रों, आंगनबाडी में पानी की कमी है? क्या वहां प्रशासन ने पानी की सप्लाई व्यवस्था दुरूस्त नहीं की है? अगर अस्पताल में पानी नहीं मिल रहा है तो मरीज कैसे इलाज करवा रहे हैं? क्या पानी की कमी के कारण बीमार होते हुए भी लोग इलाज करवाने अस्पताल नहीं जा रहे? या फिर आपको अपने साथ घर से पानी लेकर अस्पताल जाना पड़ रहा है? अपनी बात अभी रिकॉर्ड करें, फोन में नम्बर 3 दबाकर.