उत्तर प्रदेश राज्य के गोंडा जिला से माधुरी श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से कीर्ति श्रीवास्तव से बातचीत की। कीर्ति श्रीवास्तव का कहना है कि पहले के समय में महिलाये शिक्षित नहीं होती थी, इसलिए वो अपना सारा फिसला अपने पिता या पति से पूछकर लेती थी , ताकि आगे चलकर अगर कुछ गलत हो, तो कोई साथ देने वाला हो। आज के समय में महिलाये इतना पढ़ लिख गई है , की वो अपना फैसला खुद ले सकती है। कभी कभी कुछ ऐसे भी फैसले होते है, जिसमे पिता और पति को शामिल करना भी जरुरी हो जाता है। ससुराल के फैसले अगर खुद के लिए हो तो पति के बिना भी लिए जा सकता है। महिलाओं को अगर अधिकार दिया जाये और उन्हें सपोर्ट किया जाये तो महिलाये पुरुषो से भी आगे निकल सकती है। आज कल महिलाये हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है। इसलिए अगर उनका समर्थन किया जाए तो वे सभी निर्णय भी ले सकती हैं, आगे भी बढ़ सकती हैं और अपने पैरों पर खड़ी होकर दूसरों को भी सुशिक्षित बना सकती हैं।